पटना: एक बिहारी सब पर भारी... यह लाइन आपने कई बार सुनी होगी. लाइन जितनी छोटी है उसका भाव उतना ही भारी है. आज इस लाइन के साथ कुछ तथ्य और रोचक बातें भी जान लीजिए. बिहार का इतिहास हमेशा से गौरवशाली रहा है. आज पूरा राज्य बिहार के 111 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है. यह वही बिहार है जिसने दुनिया को शून्य दिया, आइंस्टीन को चुनौती दी और भारत को पहला राष्ट्रपति भी दिया.
कई सारे महान शासक इसी बिहार की पवित्र धरती पर पले बढ़े और बड़े हुए. यहां तक कि नालंदा यूनिवर्सिटी जहां देश-विदेश के कोने-कोने से लोग शिक्षा लेने आते थे. 22 मार्च 1912 में बिहार अस्तित्व में आया. इसके पहले बिहार और बंगाल प्रांत एक ही थे. 1936 से लेकर 2000 तक बिहार ने तीन बार विभाजन का दंश झेला है. 1912 में बिहार और बंगाल का विभाजन हुआ. बंगाल से अलग होकर बिहार एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देश-दुनिया के मानचित्र पर उभर कर आया. 1936 के विभाजन में बिहार से ओडिशा अलग हुआ. तीसरा विभाजन 2000 में हुआ जब झारखंड अलग राज्य बना.
जानें कुछ रोचक बातें और इतिहास
बिहार को मगध के नाम से जाना जाता था. राजधानी पाटलिपुत्र थी. बिहार बुद्ध की तपोभूमि और चंपारण विद्रोह का इतिहास समेटे है.
22 मार्च 1912 में अलग हुआ. ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के रूप में मान्यता मिली.
2010 से बड़े पैमाने पर हर साल मनाया जा रहा है बिहार दिवस.
नालंदा विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा का गढ़ देश को मिला.
देश के पहले राष्ट्रपति थे डॉ. राजेंद्र प्रसाद.
वैशाली में रखी गई थी दुनिया के पहले गणराज्य की आधारशिला.
दुनिया को शून्य देने वाले आर्यभट्ट की जन्मस्थली भी बिहार है.
आइंस्टीन को चुनौती देने वाले गणितज्ञ वशिष्ठ नारायाण सिंह भी बिहार के रहने वाले थे.
आईएएस अफसरों के लिए भी गढ़ माना जाता है बिहार.
बिहार की राजधानी पटना में है दुनिया की सबसे लंबी 20 किमी की मुफ्त वाई-फाई की रेंज.
2010 से शुरू हुआ बिहार दिवस प्रोग्राम
बिहार दिवस के मौके पर सभी जिलों में अलग-अलग तरह से इस जश्न को मनाया जा रहा है. ऐसे तो बिहार का गठन 22 मार्च 1912 को हुआ था, लेकिन 22 मार्च को बिहार दिवस मनाने का इतिहास पुराना नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2010 से बड़े पैमाने पर हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाना शुरू किया. भारत के बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य में बिहार भी एक है. देश और दुनिया में जहां बिहारियों ने अपना राज्य का नाम का डंका बजाया है. चाहे सरकारी नौकरी की बात हो या फिरा आईटी सेक्टर की, हर जगह बिहारियों का जलवा है.
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