ड्राई स्टेट बिहार के पुरुष जम कर पीते हैं शराब, इस राज्य को छोड़ा पीछे- रिपोर्ट
बिहार के पुरुष महाराष्ट्र के पुरुषों की तुलना में अधिक शराब का सेवन करते हैं.बताते चलें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए अब पांच साल होने जा रहे हैं .
पटना: देश में शराब की खपत को लेकर नए आंकड़े जारी किए गए हैं. इन आंकड़ों ने सबको चौंका दिए हैं क्योंकि इन आंकड़ों के अनुसार बिहार के पुरुष महाराष्ट्र के पुरुषों की तुलना में अधिक शराब का सेवन करते हैं.बताते चलें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए अब पांच साल होने जा रहे हैं .शराबबंदी का फैसला एक अप्रैल 2016 से पूरे बिहार में लागू हुआ है.
देश में शराब की खपत को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं उसके अनुसार तेलंगाना में भी पहले की तुलना में लोगों में शराब के सेवन का अनुपात बढ़ा है तम्बाकू सेवन में पूर्वोत्तर राज्य सूची में सबसे आगे हैं.जारी रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के पुरुषों में शराब की खपत सबसे कम है.
सिक्किम में शराब सेवन में महिलाएं आगे
सरकार आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के शराब सेवन में सिक्किम और असम, क्रमशः 16.2% और 7.3% के साथ, चार्ट में सबसे उपर हैं. लेकिन यहां भी, तेलंगाना गोवा में शीर्ष पर है. तेलंगाना और गोवा को छोड़कर, शीर्ष पर स्थित अधिकांश राज्य पूर्वोत्तर में हैं. अधिकांश राज्यों में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण महिलाओं में खपत काफी ज्यादा है. शराब की खपत में यह अंतर ग्रामीण और शहरी पुरुषों के बीच भी मौजूद है, लेकिन यह अंतर महिलाओं के बीच उतनी अधिक नहीं है.
बिहार में शराबबंदी कानून को खत्म करने की कांग्रेस ने की मांग
बिहार में नीतीश सरकार से शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग को लेकर कांग्रेस ने मांग उठाई है. पार्टी ने इस कानून के चलते हो रहे राजस्व के नुकसान का हवाला बिहार सरकार को दिया है. कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर राज्य से शराबबंदी कानून समाप्त किए जाने की मांग भी की है.कांग्रेस नेता ने पत्र में लिखा है कि 2016 में जब शराबबंदी लागू हुई तो कांग्रेस ने सदन में भी इसका समर्थन किया था लेकिन साढ़े चार वर्षों में शराबबंदी पूरी तरह लागू नहीं हो पा लाई. अब इसेंसी दुकानों की जगह दोगुनी-तिगुनी कीमत पर घर-घर शराब की होम डिलीवरी की जा रही है. युवा पढ़ाई लिखाई छोड़कर शराब पहुंचाने के पेशे से जुड़ रहे हैं, इसमें पुलिस-प्रशासन और नौकरशाहों के साथ कुछ राजनेता भी शामिल हैं.
शराबबंदी कानून से राज्य को हर साल हो रहा है लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का नुकसान
बिहार में शराबबंदी से राज्य को करीब पांच हजार करोड़ रुपये के राजस्व की भी क्षति हो रही है, जबकि इसकी दोगुनी राशि शराब माफिया से जुड़े लोगों तक पहुंच रही है, ऐसे में शराब की कीमत दोगुनी-तिगुनी कर शराबबंदी समाप्त करें और इससे प्राप्त राशि से कारखाने खोलें जाएं. जिससे राजकोष में धन आने पर इसका इस्तेमाल युवाओं को रोजगार देने में किया जा सकेगा.