पटना: बिहार के अलग-अलग हिस्सों में लगातार हो रहे नाव हादसे के बाद भी सरकार की नींद नहीं खुल रही है. नाविक अधिक कमाई करने के चक्कर में ओवरलोडेड नाव का परिचालन करते हैं. लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. राजधानी पटना से दानापुर के दियारा इलाके में भी प्रतिदिन सैकड़ों महिलाएं, बच्चे और पुरुष नाव पर सवार होकर रोजमर्रा का सामान लाने और ले जाने के लिए गंगा नदी पार कर शहर की ओर आते हैं.


पीपा पुल खुल जाने के बाद बढ़ी परेशानी


दानापुर दियारा का लाइफ लाइन कहलाने वाला पीपा पुल खुल जाने के बाद दानापुर दियारा के हजारों लोग नाव के सहारे ही आवागमन कर रहे हैं. पीपा पुल के खुलने से दानापुर दियारा के सात पंचायतों का संपर्क दानापुर से पूरी तरह से टूट गया है. इस पीपा पुल के खुलने से दियारा के लोगों के पास आवागमन के लिए सिर्फ और सिर्फ नाव का ही सहारा रह गया है.


बता दें कि लाखों की आबादी प्रतिदिन गंगा नदी में नाव पर हिलकोरा मारते हुए 1 घंटे में महज 3 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. पटना से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह सात पंचायत आज भी अपनी बदहाली की आंसू रोने पर मजबूर है. इन लोगों को आज भी अपने गांव जाने-आने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता है. नदी को पार करने में लगभग एक से सवा घंटा लगता है.


कई बार बीच नदी में फंस जाती है नाव


बता दें कि रोजमर्रा का सामान लाने के लिए प्रतिदिन लोगों को आवागमन करना पड़ता है. हद तो तब हो जाती है, जब इस गांव में कोई अचानक बुरी तरह से बीमार पड़ जाता है और उसे बेहतर इलाज के लिए शहर लाना पड़ता है. मरीजों को भी नाव पर लादकर लोग शहर आते हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो कई बार नाव बीच नदी में फंस जाती है, तो कई बार नाव ओवरलोड के वजह से पलट भी जाती है. लेकिन, आवागमन के एक ही साधन होने की वजह से मजबूरन लोगों को नाव से सफर करना पड़ता है. 


ऐसे में स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार बिहार में लगातार हो रही नाव दुर्घटना से सबक लेते हुए दानापुर के दर्जनों घाट पर नाव की ओवरलोडिंग रोकने के लिए कदम उठाए. साथ ही लोगों के आने जाने के लिए कोई विकल्प निकाला जाए, जिससे उन लोगों की समस्या दूर हो.



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