(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिहार: गया के नक्सल प्रभावित इलाके में बनेगा इको टूरिज्म स्पॉट, वन विभाग ने शुरू की तैयारी
गया डीएफओ अभिषेक कुमार ने बताया कि चूंकि बाराचट्टी पूर्व में काफी नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है, जब यहां इको टूरिज्म विकसित की जाएगी तो स्थानीय लोगों को इससे रोजगार मिलेगा. साथ ही टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.
गया: बिहार के गया जिला के अति नक्सल प्रभावित इलाका बाराचट्टी स्थित गौतम बुद्ध वन्यप्राणी अभ्यारण्य को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है. जहां पहले कभी नक्सलियों का आशियाना हुआ करता था, अब वहां इको टूरिज्म विकसित की जाएगी. प्राकृतिक रूप से संपन्न गया जिला जल्द ही बिहार में इको-टूरिज्म का एक शानदार स्पाॅट बन जायेगा. जिले के जंगलों और पहाड़ों को संरक्षित करने के उद्देश्य से केंद्र और राज्य सरकार के स्तर पर कई प्रोजेक्टों को मंजूरी मिल गयी है.
पिंडदान को लेकर बड़ी संख्या में हिंदू धर्मावलंबी और महात्मा बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया के प्रति आस्था को लेकर बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक पूरे साल गया आते रहते हैं. लेकिन अब धार्मिक स्थलों को देखने के साथ-साथ पर्यटक गया में प्रकृति का भी आनंद ले सकेंगे. बता दें कि बाराचट्टी में जीटी रोड पर 13 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला विशाल वन क्षेत्र गौतम बुद्ध वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के नाम से जाना जाता है.
झारखंड के वन क्षेत्र से सटा यह इलाका जल्द ही जंगल सफारी का एक महत्वपूर्ण स्थान बन जायेगा. वन विभाग इस क्षेत्र को इको टूरिज्म स्पाॅट बनाने की तैयारी कर रहा है. वन क्षेत्र में 200 हेक्टेयर के एरिया में ग्रासलैंड डेवलप किया जा रहा है, ताकि शाकाहारी जीवों को भोजन मिल सके.
शाकाहारी जीवों की बढ़ी संख्या मांसाहारी जीवों को भी बढ़ने में मदद करेगा. इस जंगल क्षेत्र में चीतल, सांभर, बार्किंग हिरन, नील गाय, स्लॉथ, जंगली भालू, आर्यक्यूपाइन, पैंगोलिन और अन्य कई प्रकार के जानवर पाए जाते हैं. वन क्षेत्र में पर्यटकों के ठहरने से लेकर जंगल सफारी करने तक की पूरी व्यवस्था होगी.
इस संबंध में गया डीएफओ अभिषेक कुमार ने बताया कि चूंकि बाराचट्टी पूर्व में काफी नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है, जब यहां इको टूरिज्म विकसित की जाएगी तो स्थानीय लोगों को इससे रोजगार मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस जंगल में जानवरों को लाने की जरूरत नहीं है. उनके लिए पहले से घर बना हुआ है. अगर उन्हें संरक्षित किया जायेग तो जानवर खुद ब खुद और बढ़ेंगे, क्योंकि ये इलाका झारखण्ड के जंगलों से यह सटा है.