ACS S Siddharth Order: बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के जरिए जारी किए जा रहे नए-नए फरमान से सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों में हड़कंप मची हुई है. शिक्षा विभाग के करीब 8 हजार पदाधिकारी और कर्मी राज्य के हर जिले में स्थित सभी सरकारी विद्यालय प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों का नियमित अनुश्रवण कर रहे हैं. इस बीच शिक्षा विभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने केके पाठक के इस आदेश को बदल दिया है.
डीडीसी करेंगे सरकारी स्कूलों की निगरानी
दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बीते 3 जून से 30 जून तक अवकाश पर हैं. उनके स्थान पर सीएम नीतीश कुमार के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ को शिक्षा विभाग के प्रभारी अपर मुख्य सचिव को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. प्रभारी अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ के गुरुवार (06 जून) को जारी किए गए नए आदेश के अनुसार अब सरकारी स्कूलों की निगरानी हर जिले के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) करेंगे. डीडीसी जिले में तैनात शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्कूलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी सौपेंगे.
इसे लेकर अगले तीन महीने का रोस्टर भी तैयार किया गया है. अधिकारी रोस्टर वार स्कूलों का निरीक्षण करेंगे, निरीक्षण रिपोर्ट का क्रॉस वेरिफिकेशन शिक्षा विभाग के अधिकारी करेंगे. जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मियों को 3-3 महीने के लिए 10 से 15 स्कूलों का जिम्मा दिया जाएगा. रोस्टर बनाकर स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा. सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों का हर सप्ताह कम से कम एक बार निरीक्षण कार्य अनिवार्य किया गया.
अधिकारी आवंटित विद्यालयों का ही करेंगे निरीक्षण
निरीक्षण को लेकर तैनात पदाधिकारी या कर्मी अपने जिम्मे के स्कूल में पर्याप्त समय देंगे. वे प्रधानाध्यापक और शिक्षक के साथ बैठक कर विद्यालय संचालन में आने वाली कठिनाइयों को भी दूर करेंगे. पदाधिकारी या कर्मी सप्ताह में तीन दिन आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे, आवश्यकता पड़ने पर वे सप्ताह में एक से अधिक बार भी आवंटित विद्यालयों का निरीक्षण कर सकते हैं.
ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर प्रतिवेदन करेंगे अपलोड
नए आदेश के अनुसार डीडीसी हर तीन महीने पर निरीक्षण करने वाले प्रत्येक पदाधिकारी और कर्मियों के स्कूल आवंटन से संबंधित रोस्टर को बदलेंगे, निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी और कर्मी जिस स्कूल का निरीक्षण करेंगे, उसका प्रतिवेदन शिक्षा विभाग के ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे.
विद्यालय के सभी सुविधाओं पर देना होगा ध्यान
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने नए आदेश में कहा है कि विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को यह देखना अनिवार्य होगा कि प्रधानाध्यापक और शिक्षकों का पदस्थापन सही तरीके से हुआ है या नहीं, वहां तैनात प्रधानाध्यापक और शिक्षक सही समय पर स्कूल आ रहे हैं या नहीं, स्कूलों में विषय के मुताबिक शिक्षकों की तैनाती हुई है या नहीं, कक्षा का संचालन समय सारिणी के अनुसार हो रहा है या नहीं?
शिक्षक क्लास में कैसे पढ़ा रहे हैं, विद्यालय में अभिभावक शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है या नहीं, स्कूलों में कितने बच्चे नियमित आ रहे हैं, कितने बच्चों का नामांकन नहीं हुआ है, स्कूलों में नामांकित बच्चे, जो नियमित विद्यालय नहीं आते हैं, उनके अभिभावक से संपर्क स्थापित कर उन्हें विद्यालय आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है या नहीं, निरीक्षण करने वाले अधिकारी को विद्यालय में सारी सुविधाओं के साथ साथ मध्याह्न भोजन, पेयजल, शौचालय, किचन शेड, थाली, चूल्हा सहित सभी सुविधाओं पर भी ध्यान देना अनिवार्य होगा.
नोडल पदाधिकारी एक प्रखंड के पांच स्कूल की करेंगे जांच
नए आदेश में बताया गया है कि राज्य मुख्यालय से हर 3 महीने के लिए जिलेवार नोडल पदाधिकारी बनाए गए हैं. ये नोडल पदाधिकारी प्रत्येक सप्ताह में एक दिन जिला का भ्रमण करते हुए मुख्यालय स्तर से उपलब्ध कराए गए रोस्टरवार किसी एक प्रखंड के पांच विद्यालय की जांच करेंगे. राज्य स्तर पर गठित टीम से उन विद्यालय के संबंध में आई रिपोर्ट से उसका मिलान करेंगे, इस दौरान दोनों जांच प्रतिवेदनों में भिन्नता पाए जाने पर विभाग सख्त कार्रवाई करेगी.
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