पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर (Bihar Education Minister Chandrashekhar) ने बुधवार को पटना में दीक्षांत समारोह के बाद रामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर विवादित बयान दिया जिसके बाद यूपी (Uttar Pradesh) तक बवाल मचा है. कुछ लोग बर्खास्त करने की मांग भी करने लगे हैं. इसके पहले आरजेडी (RJD) के दो नेता मंत्री पद से हटाए जा चुके हैं. कार्तिक मास्टर (Kartik Master) कानून मंत्री थे और सुधाकर सिंह (Sudhakar Singh) कृषि मंत्री के पद पर थे जिनके पास अब ये कुर्सी नहीं है. अब विवादों में बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर घिर गए हैं. बीजेपी के साथ जेडीयू के नेता ने भी चंद्रशेखर के बयान पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं तो कोई नाराजगी जता रहा है. आरजेडी ने बचाव किया है. जानिए 10 बड़ी बातें.


1. जेडीयू नेता निखिल मंडल ने कहा कि रामचरितमानस पढ़ना अलग बात है और समझ लेना अलग बात है. यह भी कहा कि वह गठबंधन धर्म का सम्मान करते हैं. बस यही कहना चाहेंगे कि बिहार के शिक्षा मंत्री को अविलंब अपने रामचरितमानस वाले बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए. राजनीति अपनी जगह है पर सभी के भावना का कद्र होना ही चाहिए. निःसंदेह करोड़ो लोगों की आस्था को ठेस पहुंची है.


2. बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार बीजेपी प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने तेजस्वी को माफी मांगने के लिए कहा है. निखिल ने कहा कि "तेजस्वी यादव को प्रो. चंद्रशेखर के बयान पर देश के हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए. राजद नेताओं को लगता है कि भगवान श्रीराम- श्रीकृष्ण और हिंदू धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ बोलकर धर्मनिरपेक्ष राजनीति का कार्ड बेहतर तरीके से खेल सकते हैं!"


3. निखिल आनंद ने यह भी कहा कि "रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का बयान निंदनीय है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा मंत्री नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे जहां उन्होंने धार्मिक घृणा पर आधारित ऐसी मूर्खतापूर्ण राय पेश की.


4. "राजद के नेताओं को लगता है कि भगवान राम और भगवान कृष्ण के साथ- साथ हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों को गाली देकर वे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति को बेहतर तरीके से खेल सकते हैं?"- निखिल आनंद


5. ट्विटर पर शिक्षा मंत्री अपने बयान के बाद से ट्रेंड कर रहे हैं. लोग #शिक्षा_मंत्री लिखकर चंद्रशेखर को घेरने में लगे हैं. ज्यादातर लोगों ने आपत्ति ही जताई है.


6. डॉक्टर कुमार विश्वास ने भी शिक्षा मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई है. बुधवार को बयान के बाद ट्वीट करते हुए लिखा- "आदरणीय नीतीश कुमार जी भगवान शंकर के नाम को निरर्थक कर रहे आपके अशिक्षित शिक्षामंत्री जी को शिक्षा की अत्यंत-अविलंब आवश्यकता है. आपका मेरे मन में अतीव आदर है इसलिए इस दुष्कर कार्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा हूं. इन्हें "अपने अपने राम" सत्र में भेजें ताकि इनका मनस्ताप शांत हो."


7. यूपी में भी बवाल जारी है. बीजेपी प्रवक्ता पूनावाला ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा 'रामचरितमानस' नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. कुछ दिन पहले जगदानंद सिंह ने राम जन्मभूमि को 'नफरत की जमीन' बताया था. यह संयोग नहीं है. यह वोट बैंक का उद्योग है 'हिंदू आस्था पर करो चोट, ताकि मिले वोट', सिमी और पीएफआई की पैरवी, हिंदू आस्था पर चोट.'' क्या कार्रवाई होगी? 


8. बीजेपी विधायक सह पूर्व मंत्री नीरज कुमार बबलू का भी इस पर बयान आया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.


9. बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर द्वारा दिए गए बयान पर उनकी पार्टी ने बचाव किया है. आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सफाई देते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस की पहली पंक्ति को पढ़ा और उसका अर्थ बताया. इसमें दूसरी पंक्ति भी है और उस पंक्ति का खंडन किया गया है और उसमें भगवान राम के चरित्र का वर्णन किया गया है. रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है. उन्होंने कहा कि बीजेपी रामचरितमानस को कॉपीराइट मानती है. शायद इसी को लेकर शिक्षा मंत्री ने इस तरह का बयान दिया होगा.


10. अयोध्या के महंत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने प्रतिक्रिया देते हुए एक बड़ी मांग की है. उन्होंने मंत्री के पद को बर्खास्त करने की मांग की है. महंत ने बताया कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है. इससे पूरा देश आहत है. आगे कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वाले को वो 10 करोड़ रुपये का इनाम देंगे.


क्या था चंद्रशेखर का बयान?


प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है. यह उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है. चंद्रशेखर ने दावा किया कि बाबा साहब आंबेडकर भी मनुस्मृति के खिलाफ थे. मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया.


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