पटना: हर विधानसभा या लोकसभा के लिए जातीय समीकरण बेहद अहम होता है. हर पार्टी जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही उम्मीदवारों को टिकट देती है. लेकिन जब  बिहार की बात होती है तो यहां सबसे बड़ा चुनावी फैक्टर जाति को ही करार दिया जाता है, क्योंकि यहां बड़े पैमाने पर वोट देने का पैटर्न अपनी अपनी करीबी जातियों के आधार पर तय होता है.


इस जातीय झुकाव से कोई भी पार्टी अछूती नहीं है, बीजेपी और कांग्रेस भी नहीं, लेकिन स्थानीय पार्टियां खुले तौर पर एक जाति की राजनीति को हवा देती हैं. लालू प्रसाद की RJD हो या नीतीश कुमार की JDU या राम विलास पासवान की पार्टी LJP, सभी पार्टियों की पहुंची राज्य में जाति के आधार पर बनी हुई है. राजनीतिक विश्लेषकों में इस कड़ी में आरजेडी को अव्वल माना जाता है.


बिहार का जातीय समीकरण देखें तो करीब 20 फीसदी अगड़ी जातियां हैं, जिसमें राजपूत सबसे ज्यादा हैं. ब्रह्मण और भूमिहार की अच्छी खासी तादाद है. मुसलमान और दलित समुदाय की आबादी करीब 15-15 फीसदी है. ओबीसी में सबसे ज्यादा यादवों की संख्या है और करीब 14 फीसदी हैं.


बिहारी दलों का जाति वोट बैंक
बिहार में मुस्लिम और यादव की आबादी करीब 30 फीसदी है. ऐसा माना जाता है कि इनकी सहानुभूति लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल से है. नीतीश की पार्टी जेडीयू को कुर्मी जाति का समर्थन हासिल है. नीतीश की पार्टी मुसलमान और अगड़ी जातियों में भी अपनी पहुंच रखती है.  साथ ही साथ ही अंत्यंत पिछड़ा वर्ग पर भी नीतीश की नजर रहती है. राम विलास पासवान की बिहार में दलित नेता के तौर पर पहचान है. हम (एस) के नेता जीतन राम मांझी भी इस वर्ग के वोट बैंक को हासिल करने में लगे हैं. इसके अलावा सवर्ण मतदाता बीजेपी का बोट बैंक माना जाता है.


2015 का बिहार विधानसभा चुनाव
2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने जीत हासिल की थी. नीतीश कुमार की जेडीयू, लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और कांग्रेस ने महागठबंधन बनाकर बीजेपी, आरएलएसपी और एलजेपी के गठबंधन पर जीत हासिल की थी. महागठबंधन को 43 फीसदी वोट मिले. आरजेडी को 18.4 फीसदी, जेडीयू को 16.8 फीसदी और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले.


एनडीए को 33 फीसदी वोट मिले थे. एनडीएम में लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल थे. लेकिन दो साल बाद ही नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली थी.


अब महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस के अलावा आरएलपी और वीआईपी पार्टी शामिल हैं, जबकि बीजेपी ने नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़ने का एलान किया है. एलजेपी अभी तक एनडीए गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़ने को लेकर उसकी स्थिति अब तक साफ नहीं है.


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