अक्सर कहा जाता है कि जनता के पास अच्छे विकल्प नहीं हैं चुनाव के लिए. बिहार में चुनाव आते ही ऐसी बातें यहां पर होने लगी है. इन सारी चीजों को देखते हुए मनीष बरियार इस बार चुनाव में उतरे हैं. बांकीपुर सीट से लड़ने वाले मनीष परिहार ऑक्सफोर्ड से पढ़े हुए हैं. टीचर हैं, बच्चों को कोचिंग देते हैं. उनका कहना है कि वह राजनीति में धर्म और जाति नहीं शिक्षा और विकास की बात करने के लिए आए हैं.
मनीष बरियार का करियर
- लीडरशिप प्रोग्राम (बैच के एकमात्र भारतीय)- ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (यूके)
- MBA- भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, दिल्ली
- भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के पूर्व 'ए' ग्रेड अधिकारी
- वर्तमान में "व्यापार और प्रबंधन" शिक्षक के रूप में पटना में कार्यरत
बिहार को लेकर मनीष बरियार की सोच...
मनीष बरियार का कहना है कि बिहार की जनता पिछले साल 70 सालों से सालों से त्रस्त हो चुकी है. देश आगे निकल रहा है. जबकि दुनिया आगे निकल रही है. लेकिन अभी हम लोग दुनिया की सबसे गरीब जगहों में से एक हैं. जब पूरा देश आगे बढ़ रहा है तो बिहार क्यों पिछड़ा हुआ है? इस बात को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया. मैं चाहता था कि कोई ना कोई बाहर निकले. मैं एक टीचर हूं और एक टीचर के तौर पर सामने आ रहा हूं. बहुत सारे लोग मेरी इस मुहिम से जुड़ेंगे.
उन्होंने आगे कहा, 'मैं वोट की राजनीति में नहीं आया हूं. मैं यही का जन्मा हूं. मेरी कर्म भूमि भी बांकीपुर रही है. मेरी बात लोगों के बीच पहुंच रही है, लोग मुझसे जुड़ रहे हैं. मेरी पार्टी को सिंबल मिलने मैं टाइम लगेगा इसलिए मैं विरोध स्वरूप इंडिपेंडेंट खड़ा हो रहा हूं. समाज के हर वर्ग के लोग मेरे साथ हैं. जैसे चुनाव खत्म होगा, हमारी पार्टी का रजिस्ट्रेशन होगा और सिंबल भी मिलेगा. जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मैं सरकार का सहयोग करूंगा. लेकिन अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा. मैं अपनी पार्टी को स्थापित करूंगा. अभी कोई भी ऐसा विकल्प नहीं है जिससे मैं जुड़ सकूं.'
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