C Voter ABP Opinion Poll: जल्द ही ये तस्वीर साफ हो जाएगी कि बिहार में सत्ता की चाबी किसके साथ में होती है और किसके दावों पर जनता के विश्वास की मुहर लगती है? बिहार में जल्द ही चुनाव शुरू होने को हैं लेकिन इससे पहले एबीपी न्यूज़ और सी वोटर ने ओपिनियन पोल कर बिहार की जनता के मिजाज को समझने की कोशिश की है. इस दौरान मुख्यमंत्री पद की पसंद, लालू यादव के जेल में होने से आरजेडी को नुकसान, चिराग पासवान की वजह से एनडीए को नुकसान और क्या नीतीश कुमार से जनता नाराज है सहित वो सभी सवालों पर जनता की राय ली गई है. इन सवालों का यहां विस्तार से जिक्र किया गया है.
चिराग पासवान की वजह से एनडीए को नुकसान होगा?
एबीपी न्यूज़ और सी वोटर के ओपिनियन पोल में हमने जनता से बिहार से जुड़े कुछ अहम सवाल पूछे. इसमें कुछ के जवाब चौंकाने वाले हैं. हमने जनता से पूछा- चिराग की वजह से एनडीए को नुकसान होगा ? इसके जवाब में 60% लोगों ने कहा कि हां वहीं 40% लोगों का कहना है कि नहीं चिराग पासवान के अलग होने से असर नहीं पड़ेगा.
क्या चिराग और बीजेपी मिले हुए हैं?
इस सवाल के जवाब में 61% लोगों का कहना है कि हां बिहार एनडीए में जो कुछ भी हो रहा है, वो बीजेपी और चिराग पासवान की मिलीभगत है. वहीं 39% लोगों का इसके उलट मानना है. इन लोगों को लगता है कि नहीं, इस एनडीए में आई दरार के पीछे चिराग और बीजेपी की कोई मिली भगत नहीं है.
लालू के जेल में होने का आरजेडी को नुकसान होगा?
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर हुए ओपिनियन पोल में 45% जनता का मानना है कि हां, लालू प्रसाद यादव के जेल में होने का असर तेजस्वी के रिजल्ट में भी दिखेगा. वहीं 55% जनता का मानना है कि नहीं ऐसा नहीं है, लालू यादव के जेल में होने का असर आरजेडी के आंकड़ों पर नहीं दिखेगा.
चुनाव बाद तेजस्वी-चिराग एक हो सकते हैं?
बिहार चुनाव से जुड़े एक बेहद रोचक सवाल कि क्या चुनाव के बाद तेजस्वी-चिराग एक हो सकते हैं ? इसके जवाब में 53% जनता का मानना है कि हां, ऐसा हो सकता है कि नतीजों को देखते हुए चिराग पासवान और तेजस्वी यादव हाथ मिला लें. वहीं 46% जनता को ऐसा लगता है कि नहीं चिराग-तेजस्वी ऐसा नहीं करेंगे.
किसके 15 साल बेहतर मानते हैं?
बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान 15 साल बनाम 15 साल का मुद्दा जोर शोर से हावी है. नीतीश लालू यादव के 15 साल की विरासत को दोष दे रहे हैं. वहीं तेजस्वी और बाकी विपक्ष नीतीश-बीजेपी के 15 साल का हिसाब मांग रहा है. जनता की बात करें तो यहां मामला नीतीश कुमार के पक्ष में जाता नजर आ रहा है. 62% जनता का मानना है कि नीतीश कुमार के 15 लालू यादव के 15 साल पर भारी हैं. वहीं 38% जनता का मानना है कि लालू-राबड़ी के 15 साल बेहतर थे.
बीजेपी को ज्यादा सीट मिली तो सीएम पर नीतीश से झगड़ा होगा ?
एक और महत्वपूर्ण सवाल- बीजेपी को ज्यादा सीट मिली तो सीएम पर नीतीश से झगड़ा होगा ? इस सवाल के जवाब में 61% लोगों का कहना है कि हां, ऐसा हो सकता है. बीजेपी ज्यादा सीटें आने पर अपना मुख्यमंत्री बनाने की शर्त रख दे. वहीं 39% लोगों का ऐसा नहीं सोचते, इनके मुताबिक बीजेपी की ज्यादा सीटें आएं या कम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे.
सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
बिहार में इस बार चुनाव मुद्दों पर आ गया है, इसलिए मुद्दे से जुड़ा सवाल भी जनता से पूछा गया कि सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इस पर 52% लोगों का मानना है कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. वहीं भ्रष्टाचार 11% के लिए, सड़क-बिजली 10% के लिए और शिक्षा 8% के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है.
नीतीश के काम को कैसा मानते हैं?
15 साल से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर ओपिनियन पोल में जनता से सवाल पूछा गया. इस 25% लोगों ने नीतीश के 'सुशासन' को अच्छा बताया. वहीं 28% लोगों ने नीतीश के काम को औसत माना. वहीं 46% लोगों ने नीतीश के काम काज को सिरे से खारिज कर दिया.
सीएम की पसंद कौन?
मुद्दे के साथ बिहार में चेहरों की भी लड़ाई है, इसलिए ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री की पसंद को लेकर भी सवाल पूछा गया, नीतीश कुमार पर 30 %, तेजस्वी यादव पर 20 %, चिराग पासवान पर 14% तो मौजूदा डिप्टी सीएम सुशील मोदी पर सिर्फ 10% लोगों ने भरोसा जताया. यानी चेहरों की लड़ाई में नीतीश कुमार अपने बाकी सभी प्रतिद्वंदियों से कई कदम आगे खड़े हैं.
क्या नीतीश से नाराज हैं?
ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री से लोगों की नाराजगी को लेकर भी सवाल पूछा गया. इस सवाल के जवाब में जो आंकड़े आए हैं वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टेंशन बढ़ा सकते हैं. 60 % लोगों ने कहा कि नीतीश कुमार से नाराज हैं और मुख्यमंत्री बदलना चाहते हैं. वहीं 26% लोगों ने कहा कि हम नाराज तो हैं लेकिन बदलना नहीं चाहते, एक बार फिर नीतीश पर ही भरोसा जताना चाहते हैं. वहीं सिर्फ 14% लोग ऐसे हैं जो न नाराज हैं और न ही नीतीश को बदलना चाहते हैं.
(नोट- इस ओपिनियन पोल में बिहार के सभी 243 सीटों पर कुल 30 हजार 678 लोगों से बातचीत की गई है. सर्वे 1 अक्टूबर से 23 अक्टूबर के बीच किया गया.)