बिहार चुनाव: रैली से पहले तेजस्वी ने PM मोदी के नाम लिखा पत्र, कहा- उम्मीद है आप नहीं भूले होंगे अपने वादे
पीएम मोदी के रैली से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उन्हें पत्र लिखा है और पिछले 6 साल में बिहारियों से किए गए उनके वादे उन्हें याद दिलाए हैं.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान के बीच तीसरे चरण के चुनाव प्रचार के लिए आज फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार आने वाले हैं. पीएम मोदी एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में जनसभा संबोधित करेंगे. ऐसे में पीएम मोदी के रैली से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उन्हें पत्र लिखा है और पिछले 6 साल में बिहारियों से किए गए उनके वादे उन्हें याद दिलाए हैं.
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, समस्त बिहारवासी पुनः आपके बिहार आगमन पर हार्दिक अभिनंदन करते है।
आपके नाम एक पत्र लिखा है। आशा करते है कि आप बिहारवासियों से विगत 6 वर्षों में किए गए वादों को भूले नहीं होंगे एवं उन्हें पूरा करेंगे। pic.twitter.com/PvismpqUB9 — Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 3, 2020
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, " आदरणीय प्रधानमंत्री जी, समस्त बिहारवासी पुनः आपके बिहार आगमन पर हार्दिक अभिनंदन करते है. आपके नाम एक पत्र लिखा है. आशा करते है कि आप बिहारवासियों से विगत 6 वर्षों में किए गए वादों को भूले नहीं होंगे एवं उन्हें पूरा करेंगे."
तेजस्वी यादव ने पत्र में लिखा है, समस्त बिहारवासी एवं राष्ट्रीय जनता दल परिवार आपके पुनः बिहार आगमन पर हार्दिक अभिनन्दन करता है. बिहारवासियों को अपने प्रधानमंत्री से ढेर सारी उम्मीदें और आकांक्षाएं हैं. आशा करते हैं आप बिहारवासियों से किए गए वादों को भूले नहीं होंगे और उन्हें पूरा करेंगे. 2015 के बाद से बिहारवासी लगातार इस इंतजार में हैं कि कब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा.
बिहारवासियों को उम्मीद थी, बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज मिलेगा. परन्तु विशेष राज्य तो दूर विशेष पैकेज तक का अता पता नहीं. इसी संदर्भ में बिहार की जनता अपने प्रिय प्रधानमंत्री से पूछना चाहती है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिला? आखिर कब तक नियमों का बहाना बनाकर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे से महरूम किया जाता रहेगा? जिस बिहार ने 40 में से 39 सांसद दिए क्या उस बिहार के लिए नियमों में संशोधन नहीं किया जा सकता ? आखिर हमारे बिहारवासियों के लिए इतने सख्त नियम कब से हो गए?
जब दूसरी अनेक चीजों के लिए संविधान तक में संशोधन किया गया तो बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए नियमों में संशोधन क्यों नहीं किए जा सकते ? माननीय प्रधानमंत्री जी बिहार की जनता यह भी जानना चाहती है कि पटना विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा क्यों नहीं दिया गया ? क्या इसके लिए भी नियम आड़े आ रहा था?
बिहारवासियों को आपसे उम्मीद इसलिए भी थी क्योंकि आप उसी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं जिसके सारे सूचकांकों में बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. तो क्या यह भारत सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि बिहार को इस पिछड़ेपन से बाहर निकालने के लिए कुछ विशेष सहायता दी जाए ? आखिर कब तक बिहार के साथ सौतेला किया जाता रहेगा?
आखिर कब तक बिहारवासी पढ़ाई, दवाई, कमाई के लिए पलायन करने को मजबूर होते रहेंगे? कोरोना संकट के दौरान जिस तरह से हमारे प्रवासी भाई, बहनों, माताओं, बुजुर्गों एवं बच्चों को संकट का सामना करना पड़ा एवं जिस तरह की दिल देहला देनेवाली मार्मिक तस्वीरें सामने आई उन्होंने ना सिर्फ हमारी कूरता व संवेदनहीनता को दिखाया बल्कि हमारे सभ्य समाज होने के दावों पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया?
आखिर क्यों तमाम व्यवस्थायें होने के बावजूद हमारे श्रमिक भाईयों को हजारों मील पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा? वह लोग जो कभी घर नहीं पहुंच पाए, उनकी मौत का जिम्मेदार कौन है ? जब विदेश में रह रहे भारतीयों के लिए भारत सरकार विशेष विमान सेवा चालू कर सकती है, लेकिन सरकार ने कोटा मे फँसे छात्र-छात्राओं सहित श्रमवीर भाई-बहनों की सुरक्षित वापसी के लिए सही समय पर बस व ट्रेन क्यों नहीं चलाई गई? क्यों हमारे पैदल चल रहे श्रमवीरों पर बेरहमी से डंडे चलवाए गए ?
इतना ही नहीं, जिस तरह से प्रवासी मजदूरों से कूरतापूर्ण तरीके से किराया वसूला गया वह ना सिर्फ शर्मनाक बल्कि निंदनीय भी था. आप ही बताइए कि जब पूंजीपतियों के अरबों-खरबों के ऋण माफ किए जा सकते हैं तो हमारे मजदूर भाईयों के लिए भारत सरकार के पास किराये तक का पैसा क्यों नहीं था? आप ही बताइए क्या यह जायज था ?
क्या आपको नहीं लगता कि हम बहुत ही ज्यादा संवेदनहीन एवं कूर होते जा रहे हैं? आपकी मंत्री साहिबा यह कहती हैं कि बिहार को कोरोना वायरस टीका मुफ्त तभी मिलेगा जब लोग NDA को वोट करेंगे आखिर हम ऐसे स्तर पर पहुँच गए जहां इंसान का जीवन इस बात पर निर्भर करने लगा है कि वह किस पार्ट को वोट करता है. प्रिय प्रधानमंत्री जी, बिहार का हर एक बेरोजगार युवा अपने प्रधानमंत्री से यह पूछता है कि क्यों बिहार में बेरोजगारी दर 46.6 फीसदी है ? क्यों निजीकरण के आड़ में लगातार सरकारी नौकरियों में कटौती की जा रही है ? क्यों रेलवे के फार्म भरे जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया में कुछ भी तेजी दिखाई नहीं दे रही है ? आखिर कब तक बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा? बिहार की जनता यह आशा करती है कि आप इन जायज सवालों पर सकारात्मक रूप से जवाब देंगे.
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