(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Bihar Election: बिहार की जनता को नीतीश के चेहरे पर भरोसा, जानें- NDA की जीत के ये 5 फैक्टर
चुनाव परिणाम स्पष्ट तौर पर यह बताते हैं कि 15 साल के सुशासन के प्रति जनता का विश्वास अखंड है और वादों-दावों के बीच भी जनता खास कर महिला वोटर्स को नीतीश के चेहरे पर ही भरोसा है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने जीत ने जीत हासिल की है. चुनाव में 125 सीट लाने वाली एनडीए ने यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही भरोसेमंद चेहरा हैं. चुनाव परिणाम स्पष्ट तौर पर यह बताते हैं कि 15 साल के सुशासन के प्रति जनता का विश्वास अखंड है और वादों-दावों के बीच भी जनता खास कर महिला वोटर्स को नीतीश के चेहरे पर ही भरोसा है.
यही वजह है कि जब नीतीश कुमार ने बीच जनसभा में यह कहा था कि यह उनका अंतिम चुनाव है तो सूबे के सियासी गलियारों में भूचाल आ गया था. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहना पड़ा कि बिहार के विकास के लिए उन्हें नीतीश कुमार की जरूरत है. चुनाव परिणाम देखकर लगता है कि बिहार की जनता को भी ऐसा ही लगता है कि बिहार के विकास के लिए नीतीश कुमार जरूरी हैं.
वो पांच फैक्टर जिसने एनडीए के जीत की राह की आसान-
● बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के जीत की सबसे बड़ी वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसेमंद चेहरा है. एलजेपी के लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी का अपने स्टैंड पर अड़े रहना कि सीटों की संख्या जो भी हो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे ने उनके पक्ष में काम किया.
● नीतीश कुमार का विकास मॉडल भी एनडीए की जीत का बड़ा फैक्टर है. नीतीश कुमार का समाज के हर तबके के लिए किया गया काम और सरकार में आने पर किये जाने वाले काम के वादे पर जनता ने भरोसा किया.
● चुनाव में जीत हासिल करने के लिए विपक्ष कमजोर होना भी बड़ा फैक्टर है. महागठबंधन में सीट बंटवारे में चूक हुई जिसका परिणाम उन्हें हार का सामना करना पड़ा. महागठबंधन में कांग्रेस को उनके हैसियत से अधिक सीट दी गई, जो सबसे बड़ी गलती साबित हुई.
● जंगलराज की यादें भी एनडीए के जीत की बड़ी वजह है. 10 लाख रोजगार का वादा भले ही लुभावना था, जिसके चक्कर में कई हद तक फर्स्ट टाइम वोटर्स आ भी गए. लेकिन वैसे वोटर जिन्होंने आरजेडी शासनकाल देखा है उन्होंने एनडीए पर ही भरोसा जताया.
● तेजस्वी यादव का डेहरी में दिया गया भाषण, जिसमें उन्होंने अपने पिता लालू यादव और उनके राज की याद दिलाई और समर्थकों को समझाने की कोशिश की कि आरजेडी शासनकाल में गरीब बाबू साहब के सामने सीना तान कर चलते थे ने खेल बिगाड़ दिया. इस बयान के बाद कई सवर्ण वोटरों ने आरजेडी को किनारे कर दिया.
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