पटना: एलजेपी के सीटों को लेकर लगतार प्रेशर पॉलिटिक्स करने को बिहार में एनडीए के टूटने की सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है. लंबे समय चल रहे इस चर्चा पर एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने विराम लगा दिया है. चिराग ने बताया कि सीटों को लेकर एनडीए में कोई विवाद नहीं था. हमारे बीच एजेंडे की लड़ाई थी. हम चाहते थे कि हमारे बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट विजन को अगली सरकार में इम्पलीमेंट किया जाए और जब हमें ऐसा होता नहीं दिखा तो हमने किनारा कर लिया.


दूसरे राज्यों में विकास का मापदंड अलग


चिराग ने कहा कि पापा ने हमेशा चाहा कि बिहार पहले पायदान पर आए और विकसित राज्य बने. आज भी हम अगर दूसरे राज्य को देखें तो वहां विकास का मापदंड अलग है. लेकिन जब हम बिहार में विकास की बात करते हैं तो गली-नाली, चापाकल, पानी इन्हीं सब चीजों पर आकर हमारी सोच रुक जाती है और पापा की चाहत के अनुसार हम लोगों ने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का विजन तैयार किया था और मैंने अपने गठबंधन के साथियों से आग्रह किया था कि जब भी हमारी सरकार बने तो उस एजेंडे में बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के विजन को लागू किया जाए.


मेरे पास नहीं बचा था कोई विकल्प


लेकिन मुख्यमंत्री जी 7 निश्चय को लेकर चल रहे हैं. गठबंधन के लिए और अगली सरकार के लिए भी उन्होंने सात निश्चय पार्ट-2 की घोषणा कर दी है. तो जब उन्होंने घोषणा कर ही दी तो मेरे पास कोई दूसरा विकल्प बचा ही नहीं था और मैं अपने एजेंडे से कंप्रोमाइज नहीं कर सकता था. मैंने चार लाख से अधिक बिहारियों से सुझाव लेकर बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट डॉक्यूमेंट तैयार किया था, इसीलिए मेरे पास दूसरा कोई विकल्प बचा नहीं था.


सीटों को लेकर कभी नहीं हुई कोई चर्चा


चिराग ने कहा कि व्यक्ति विशेष से मुझे कुछ लेना देना नहीं है और मैंने कुछ समय पहले एक ट्वीट भी किया था, जिसमें मैंने कहा था कि बीजेपी किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा बनाती है तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा. मेरी तो लड़ाई सीटों को लेकर भी नहीं थी. यह बातें अखबारों और मीडिया में आती थी कि चिराग सीटों को लेकर दबाव बना रहे हैं, जबकि मैं ईमानदारी से बता रहा हूं गठबंधन के भीतर सीटों को लेकर कभी चर्चा ही नहीं हुई.


बीजेपी के कई नेताओं से हुई मुलाकात


उन्होंने कहा कि मेरी बीजेपी के शीर्ष नेताओं से लगातार मुलाकात हुई. जेपी नड्डा और अमित शाह से भी मेरी मुलाकात हुई, राजनाथ सिंह से भी हुई और तमाम वरिष्ठ नेताओं से मेरी मुलाकात होती रहती थी. लेकिन सीटों की संख्या को लेकर कभी हमने चर्चा नहीं किया. मेरी चर्चा सिर्फ बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के विजन को लेकर थी. इधर, जिस तरह से पिछली सरकार ने और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री ने संवाद हीनता पूरी तरह से लोजपा के नेताओं के साथ साध रखी थी, यह मेरे लिए चिंता का विषय था.


मेरे पास खुद की बुद्धि है


चिराग ने कहा कि बीजेपी मेरे पीछे है या नहीं है, इस संबंध में मुझे कुछ नहीं कहना. मेरी अपनी अलग पार्टी है और लोजपा एक अलग राजनीतिक दल है. हम लोगों की आईडियोलॉजी अलग है और मेरी खुद की भी अपनी बुद्धि है. मैं खुद भी अपना निर्णय ले सकता हूं. मेरे पिता ने मुझे इतना लाइक जरूर बनाया है और उन्होंने मुझे इतनी हिम्मत दी है कि मैं यह निर्णय ले सकूं. जैसा उन्होंने 2005 में लिया था.


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