पटना: बिहार में चुनाव सिर पर है, ऐसे में राजनैतिक दलों की सीट वाली वर्जीश भी शुरू है. दावों के साथ राजनैतिक दलों ने अपना रुख दिखाना शुरू कर दिया है. एनडीए में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच एक राउंड की बैठक हो भी गई है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी भी एनडीए का हिस्सा हैं, मगर बीजेपी नेताओं का दावा है कि हमारे यहां सब सुलझ जाएगा. हालांकि, चिराग लगातार नीतीश को निशाने पर ले रहे हैं.
महागठबंधन में नहीं बन पा रही सहमति
मगर पेंच तो महागठबंधन में है जहां ना सहमति बन पा रही और ना महागठबंधन के साथी तय हो पा रहे हैं. खास बात ये भी है कि एनडीए के बाहर के हर दल महागठबंधन का हिस्सा बनना चाह रहे हैं. आरजेडी और कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है, मगर इनकी तैयारी जोरों पर है. कोर्डीनेशन कमिटी की मांग करते करते पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से विदाई ले ली है.
आरजेडी 150 सीटों पर लड़ना चाहती है चुनाव
आरएलएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा भी बेचैनी के साथ महागठबंधन में हैं. अंदरखाने खबर यह है कि 43 सीट की सूची उपेन्द्र कुशवाहा ने आरजेडी को दी है. पिछ्ली बार यह 23 सीट पर लड़े थे. वीआईपी के मुकेश सहनी को भी 25 सीट चाहिए. इधर, लालू प्रसाद यादव के हौसले बुलंद है, सबसे बड़ी पार्टी जिनके फिलहाल 80 विधायक हैं वो 150 सीट पर पार्टी चुनाव लड़ना चाह रही है.
कांग्रेस भी इतने सीटों की कर रही मांग
ऐसे में इस गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस भी है. राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद यहां ये आरजेडी की सहयोगी रही. पिछ्ले चुनाव में इनके 27 विधायक जीते सो इस बार ये भी 70 से 80 सीट की दावेदारी कर रही है. बता दें कि बिहार विधानसभा में केवल 243 सीट हीं हैं, मगर चुनावी महत्वकांक्षा में राजनेता ये बात भूल जाते हैं.
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