बिहार चुनाव: क्या NDA में इस बार जेडीयू की बजाय बीजेपी है बड़ा भाई? समझिए ये गणित
बीजेपी और जेडीयू सीटों के मामले में करीब आ चुके हैं. इससे पहले लोकसभा चुनाव में कोई बड़ा भाई नहीं रहा था. दोनों 17-17 सीट यानी बराबरी पर लड़े थे.
Bihar Election: बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का एलान हो गया है. कल जो प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से दो पार्टियों का ही चेहरा आगे रखा गया. गठबंधन में शामिल बाकी दो पार्टियां दोनों बड़ी पार्टियों की सहयोगी के तौर पर मैदान में उतर रही हैं.
20 साल में ये पहला मौका है जब बीजेपी इस तरह की बराबरी के साथ चुनावी मैदान में है. जेडीयू को 122 और बीजेपी को 121 सीटें गठबंधन में मिली हैं. जेडीयू अपने कोटे से हम को 7 और बीजेपी ने अपने कोटे से वीआईपी को 11 सीटें दी हैं. इस तरह से जेडीयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
अब जरा अतीत की ओर चलिए. साल 1996 में बीजेपी और जेडीयू जो कि तब समता पार्टी थी का गठबंधन हुआ था. साझा बिहार में बीजेपी बड़ा भाई और समता पार्टी छोटा भाई. ये स्थिति साल 2000 के विधानसभा चुनाव तक रही थी.
नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को विपक्ष का नेता बनवा दिया था
साल 2000 के चुनाव में नीतीश दस दिनों के लिए सीएम भले ही बने थे लेकिन उस वक्त के चुनाव में बीजेपी 168, समता पार्टी 120 सीटों पर लड़ी थी. बाकी सीटों पर शरद-पासवान की जोड़ी वाली जेडीयू और आनंद मोहन की बिपीपा के उम्मीदवार लड़े थे. बीजेपी 67 सीट जीती, समता पार्टी 34 जीती. ज्यादा सीट बीजेपी ने जीती लेकिन दस दिनों के लिए सीएम नीतीश बने. इसके बाद झारखंड बना और बिहार में समता पार्टी बड़ी पार्टी बन गई. समता पार्टी ने तब बीजेपी से विधानसभा में विपक्ष के नेता की कुर्सी भी छीन ली थी. बीजेपी के सुशील मोदी तब विपक्ष के नेता थे. नीतीश ने उपेंद्र कुशवाहा को विपक्ष का नेता बनवा दिया था.
इसके बाद से ही नीतीश कुमार बिहार में बड़े भाई की भूमिका में रहे. 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ज्यादा सीटों पर लड़ी. 2010 में जेडीयू 141 और बीजेपी 102 सीटों पर लड़ी थी. दोनों ने मिलकर 243 में से 206 सीटें जीत ली.
खेल शुरू हुआ 2014 में
लेकिन खेल शुरू हुआ 2014 में. लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन टूट गया. जेडीयू लेफ्ट से मिलकर 40 सीटों पर लड़ी और 2 पर जीती. तब बीजेपी, लोजपा और रालोसपा से मिलकर लड़ी और 31 सीटों पर जीत मिली.
इसके बाद साल 2015 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो लालू और नीतीश का गठबंधन हुआ. लालू-नीतीश दोनों ही 101-101 पर लड़े. उधर बीजेपी एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी हो गई थी और तब उसने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. सरकार लालू के समर्थन से नीतीश के नेतृत्व में बनी.
अब जब 10 साल बाद विधानसभा चुनाव मैदान में बीजेपी और जेडीयू साथ हैं तो बीजेपी और जेडीयू सीटों के मामले में करीब आ चुके हैं. इससे पहले लोकसभा चुनाव में कोई बड़ा भाई नहीं रहा था. दोनों 17-17 सीट यानी बराबरी पर लड़े थे.
बीजेपी की जेडीयू पर शुरुआती जीत समझिए
विधानसभा चुनाव में अब बीजेपी भले ही जेडीयू से सिर्फ पांच कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन ये बीजेपी की जेडीयू पर शुरुआती जीत समझिए. वैसे भी माना ये जा रहा है कि चुनाव में इस बार नीतीश कुमार के खिलाफ माहौल है. नारे लग रहे हैं मोदी जी से बैर नहीं नीतीश की खैर नहीं. ऐसे में माना ये जा रहा है कि रिजल्ट में बीजेपी को फायदा होगा.. और ऐसा होता है तो फिर नीतीश के सीएम बनने पर सस्पेंस होगा.
क्योंकि ये वो बीजेपी नहीं है जिसने साल 2000 में ज्यादा सीट जीतने के बाद भी सीएम की कुर्सी नीतीश को सौंप दी थी. चर्चा तो अभी से ही हो रही है कि बीजेपी पुरानी बातों का बदला भी ले सकती है.