Bihar Election: बेटे को जिताने के लिए जगदानंद सिंह लगाएंगे दम, कभी हराने के लिए झोंक दी थी ताकत
बिहार विधानसभा चुनाव 2010 में जगदानंद सिंह ने अपने बेटे को राजद से टिकट नहीं देने दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि कार्यकर्ताओं के बीच में वंशवाद का मैसेज जाए. इसलिए उन्होंने राजद से अपने बेटे की जगह अंबिका यादव को टिकट दिलवाया और बेटे के खिलाफ जमकर प्रचार किया.
कैमूर: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को राजद ने रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी बनाया है. इस बार राजद सुधाकर सिंह को जिताने के लिए खूब एक कर रही है. लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब अपने बेटे को हराने के लिए जगदानंद सिंह ने मोर्चा खोल दिया था.
बात साल 2010 के विधानसभा चुनाव की है, जब राजद से टिकट पाने की चाह में रहे जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को राजद से टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद बीजेपी के टिकट से उन्होंने नामनेशन फाइल किया. वहीं, राजद ने अंबिका यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था. उस समय मौजूदा राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के समने करो या मरो की स्थिति थी.
जगदानंद सिंह ने अपने बेटे को राजद से टिकट नहीं देने दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि कार्यकर्ताओं के बीच में वंशवाद का मैसेज जाए. इसलिए उन्होंने राजद से अपने बेटे की जगह अंबिका यादव को टिकट दिलवाया और बेटे के खिलाफ जमकर प्रचार किया, जिसका नतीजा यह रहा कि जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को बीजेपी का दामन थामने के बाद हार नसीब हुआ और राजद उम्मीदवार अंबिका यादव ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी.
लोगों की मानें हार के बाद दोनों पिता-पुत्र में कई सालों तक बातचीत भी बंद था, रास्ते भी अलग हो गए थे. लेकिन अब समय ने करवट लिया है. इस बार के चुनाव में राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ से राजद का उम्मीदवार बनाया गया है. अब जगदानंद के सामने अपने बेटे को जिताने की बड़ी चुनौती है.
मालूम हो कि रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जगदानंद से छह बार विधायक रह चुके हैं. बिहार सरकार में कई बार मंत्री भी रहे हैं. 2009 के लोकसभा चुनाव में जगदानंद सिंह ने बक्सर से राजद की तरफ से चुनाव लड़ी, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई. उनके लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद रामगढ़ सीट खाली हो गई और उप चुनाव की घोषणा हुई. उस समय पार्टी चाहती थी कि उनके बेटे सुधाकर सिंह को टिकट मिले. लेकिन जगदानंद सिंह का कहना था कि इससे वंशवाद को बढ़ावा मिलेगा और कार्यकर्ता निराश होंगे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे का टिकट मिलने का विरोध किया और अंबिका यादव को उम्मीदवार बना दिया था और जगदानंद के प्रचार के कारण अंबिका यादव को जीत भी हासिल हुआ था.
मंत्री रहते हुए जगदानंद ने अपने इलाके में बहुत काम भी कराया. 2014 में जगदानंद सिंह बक्सर लोकसभा से चुनाव हार गए और 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में रामगढ़ से राजद ने अंबिका यादव को उम्मीदवार बनाया जो 2010 में विधायक बने थे. इधर, बीजेपी ने 2015 में सुधाकर सिंह को टिकट नहीं देकर अशोक सिंह को मैदान में उतार दिया, जिसमें राजद के अंबिका यादव की हार हुई और अशोक सिंह जीत गए.
इस चुनाव के बाद सुधाकर सिंह को भी एहसास हुआ कि पिता के खिलाफ चल कर उन्होंने बहुत बड़ी गलती की हैं. लेकिन इस बार रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से राजद ने सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. अब जगदानंद सिंह के सामने अपने बेटे सुधाकर सिंह को जीत हासिल कराने की बड़ी चुनौती है.
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