पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण के 78 सीटों पर होने वाले चुनाव के साथ हीं आज चुनाव की समाप्ति हो जाएगी साथ हीं 1208 प्रत्याशियों की किस्मत आज ईवीएम में कैद हो जाएगी.इस फेज में कई दिग्गजों की साख दांव पर है क्योंकि उनकी राजनीतिक विरासत बचाने के लिए उनकी भावी पीढ़ी मैदान में हैं.जिनकी किस्मत का फैसला 10 नवंबर को होने वाले मतगणना के साथ होगा और उस दिन पता चलेगा कि किस दिग्गज की विरासत को भावी पीढ़ी आगे ले जाएगी और किसका भरोसा टूटेगा.



बीपी मंडंल की विरासत को बचाने की जद्दोजहद में उनके पोते निखिल मंडल




तीसरे चरण में होने वाले इस चुनाव में मधेपुरा सीट अहम सीट मानी जा रही है जहां से आरजेडी के सिटिंग एमएलए चंद्रशेखर इस बार भी आरजेडी के प्रत्याशी हैं वहीं जेडीयू की सीट बीपी मंडल के पोते निखिल मंडल प्रत्याशी है बीपी मंडल की राजनैतिक हैसियत कुछ ऐसी है की इनकी हीं रिपोर्ट पर ओबीसी को आरक्षण मिला था. निखिल के पिता मनिंद्र कुमार मंडल 2005 विधानसभा चुनाव जीते थे. ऐसे में निखिल मंडल के सामने अपने पिता और दादा की विरासत बचाने की बड़ी चुनौती है.यहां निखिल की आरजेडी के साथ जाप अध्यक्ष पप्पू यादव से भी कड़ी मशक्कत है.




शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव पिता की साख बचाने में जुटी




मधेपुरा की बिहारीगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी बनी शरद यादव की बेटी सुभाषिणी यादव चुनावी मैदान में हैं. उनका मुकाबला जेडीयू के निरंजन कुमार मेहता से है. बिहारी गंज सीट पिछले दो चुनाव से जेडीयू की सीट रही है हांलाकि लेकिन उससे पहले तीन बार आरजेडी ने यहां जीत दर्ज कराई थी. पिता की विरासत बचाने चुनावी रणक्षेत्र में उतरी सुभाषिनी के लिए इस सीट पर जीत हासिल करना इसलिए भी बड़ी चुनौती है क्योंकि इसी जिले से इनके पिता शरद यादव चार बार सांसद रह चुके हैं तो सुभाषिनी की हार जीत उनके पिता के राजनीतिक विरासत पर सीधा असर डालेगी.




दिनेश सिंह की बेटी कोमल सिंह के लिए पिता की प्रतिष्ठा बचाना जरुरी




मुजफ्फरपुर जिले की गयाघाट विधानसभा सीट से एलजेपी के टिकट पर कोमल सिंह चुनावी मैदान में हैं. कोमल का मुकाबला जेडीयू के महेश्वर प्रसाद हैं. कोमल के पिता दिनेश सिंह जेडीयू से एमएलएसी हैं और मां वीणा देवी वैशाली सीट से एलजेपी की सांसद हैं.कोमल के पिता की प्रतिष्ठा उनकी चुनावी हार जीत से इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि अपनी बेटी के पक्ष में वोट मांगने के लिए इनके पिता दिनेश सिंह को जेडीयू ने पार्टी निकाल दिया था . ऐसे में कोमल सिंह के सामने अपने पिता और मां की राजनीतिक विरासत को बचाने बड़ी चुनौती है.



तस्लीमुद्दीन के बेटों की बीच जंग भाई के खिलाफ भाई



अररिया के जोकीहाट विधानसभा सीट पर बीजेपी, आरजेडी और एआईएमआईएम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. जहां बीजेपी से रंजीत यादव तो आरजेडी से सरफराज आलम और एआईएमआईएम से शाहनवाज आलम चुनावी मैदान में हैं. सरफराज आलम और शाहनवाज आलम दोनो आपस में सगे भाई हैं और पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. ऐसे में दोनों भाईयों के आपसी मुकाबले के साथ यहां यह तय कर पाना मुश्किल है कि पारिवारिक राजनीतिक विरासत को कौन बचा सकता है.



महबूब अली कैसर के बेटे युसूफ




सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट से आरजेडी के टिकट पर यूसुफ सलाउद्दीन चुनावी मैदान में हैं. युसूफ के पिता महबूब कौसर खगड़िया लोकसभा सीट से एलजेपी के सांसद हैं. युसूफ की लड़ाई वीआईपी के मुकेश सहनी से है पिछले विधानसभा चुनाव में सिमरी बख्तियारपुर आरजेडी की सीट रही थी और जफर इस्लाम ने यहां से जीत हासिल की थी, इस बार आरजेडी ने सिर्फ प्रत्याशी बदला है अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि यूसुफ सलाउद्दीन पिता की राजनीतिक विरासत को बचा पाने में कितने सफल होते हैं.



असरारुल हक के बेटे सऊद आलम




किशनगंज की ठाकुरगंज सीट पर मौलाना असरारुल हक के बेटे सऊद आलम आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. इनकी लड़ाई जेडीयू के सिटिंग एमएलए नौशाद आलम हैं. साथ हीं निर्दलीय गोपाल अग्रवाल, एलजेपी से कलीमउद्दीन और एआइएमआइएम से महबूब आलम भी इन्हे कड़ी टक्कर दे रहे हैं. पिता मौलाना असरारुल हक खुद किशनगंज सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं ऐसे में बेटे सऊद के सामने पिता की साख बचानी एक बड़ी चुनौती है