बिहार चुनाव: वाम दलों के उम्मीदवारों का एलान, जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व महासचिव को माले ने दिया टिकट
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. महागठबंधन के घटक तीनों वाम दलों ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है.
पटना: विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के घटक तीनों वाम दलों ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. सोमवार को सीपीआई एमएल (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने सभी 19 उम्मीदवारों की सूची जारी की. माले ने अपने छात्र और युवा संगठन से जुड़े कई नेताओं को उम्मीदवार बनाया है.
इन्हीं में से एक आइसा के महासचिव संदीप सौरभ जिन्हें पटना की पालीगंज सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. संदीप सौरभ 2013 में जेएनयू छात्रसंघ के महासचिव रह चुके हैं. 2015 में पालीगंज सीट से आरजेडी ने चुनाव जीता था और जबकि माले तीसरे स्थान पर रही थी. हालांकि, पिछली बार आरजेडी के टिकट पर जीतने वाले जयवर्धन यादव इस बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे.
इसके अलावा माले की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल को भोजपुर के अगिआंव सीट से और प्रदेश अध्यक्ष अजीत कुमार सिंह को बक्सर की डुमरांव सीट से उतारा गया है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ चल रहे आंदोलन करने के लिए बनाए गए इंसाफ मंच के आफताब आलम को मुजफ्फरपुर की औराई सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. पटना की दीघा सीट से माले की महिला इकाई की राज्य सचिव शशि यादव को टिकट दी गई है.
उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जनता में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार के प्रति भारी आक्रोश है और लोग बदलाव के लिए वोट करने वाले है. उन्होंने कहा कि हम साल भर जिन मुद्दों को लेकर संघर्ष करते हैं उन्हीं को लेकर चुनाव में जाएंगे. हमारा नारा है, एनडीए हटाओ बिहार बचाओ.
माले ने 2015 में जीते अपने तीनों विधायकों महबूब आलम, सुदामा प्रसाद, सत्यदेव राम को एक बार फिर उनकी सीटों से मैदान में उतारा है. इससे पहले सीपीआई और सीपीएम अपने कोटे के सभी 06 और 04 उम्मीदवारों का एलान कर चुकी है. सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडे मधुबनी की हरलाखी सीट से लड़ रहे हैं. हालांकि कम सीटों पर समझौता करने को लेकर सीपीआई के युवा और छात्र नेताओं में राज्य नेताओं के खिलाफ काफी असंतोष है.
महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के अलावा सीपीआई एमएल 19, सीपीआई 06 और सीपीएम 04 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. 2015 में सभी वामपंथी दलों ने मिल कर चुनाव लड़ा था. तब केवल माले को ही तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस बार सरकार किसी भी बने लेकिन एक बात साफ है कि बिहार विधानसभा में वाम दलों की ताकत काफी बढ़ने वाली है.
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