पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव के लिये सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवारों की सूची में करीब 10 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी ने इसके माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि नये तेवरों वाली भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद अल्पसंख्यक समुदाय के हित सुरक्षित हैं.


राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों के बंटवारे के तहत 243 सदस्यीय विधानसभा के लिये जेडीयू को 122 सीटें मिली थी. जेडीयू ने अपने खाते में से सहयोगी जीतनराम मांझी की हम पार्टी को सात सीटें दी.


11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट


इसके बाद पार्टी ने राज्य में 115 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची बुधवार को जारी कर दी जिसमें 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है जहां इस समुदाय की आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है.


साल 2015 के चुनाव में जेडीयू का राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ गठबंधन था. तब जेडीयू के टिकट पर पांच मुस्लिम उम्मीदवार विजयी रहे थे. जेडीयू ने इनमें से चार को इस बार भी टिकट दिया है जिसमें खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद (सिकटा), शरफुद्दीन (शिवहर), नौशाद आलम (ठाकुरगंज) और मुजाहिद आलम (कोचाधामन) से चुनाव मैदान में हैं. जेडीयू से 2005 में विजयी पांचवे मुस्लिम उम्मीदवार जोकीहाट से सरफराज आलम थे जिन्होंने 2018 में पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था. आलम को राजद ने आररिया लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतारा था.


पिछले दशकों में समुदाय के चुनावी प्रतिनिधित्व में गिरावट आने के बीच जेडीयू यह दावा कर सकती है कि उसका प्रदर्शन इस लिहाज से बेहतर है. आसन्न चुनाव में जोकीहाट सीट भाजपा के खाते में आ गई है. जेडीयू ने पास की ही अररिया सीट पर शगुफ्ता आजिम को टिकट दिया है. इस सीट पर 2015 में कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी.


इसके अलावा पार्टी ने राजद के वरिष्ठ नेता इलियास हुसैन की पुत्री आसमा परवीन को महुआ सीट से टिकट दिया है. महुआ सीट से लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव वर्तमान विधायक हैं. हुसैन साल 2015 में देहरी सीट पर राजद के टिकट पर विजयी रहे थे लेकिन तारकोल घोटाले के दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें सदस्यता के अयोग्य ठहरा दिया गया था. पिछले साल हुए उप चुनाव में उनके पुत्र फिरोज ने इस सीट पर राजद के टिकट पर लड़ा लेकिन असफल रहे.


डुमरांव से अंजुम आरा को टिकट


जेडीयू ने डुमरांव से पार्टी ने बाहुबली वर्तमान विधायक ददन पहलवान को टिकट नहीं दिया है. इनके स्थान पर पार्टी ने अंजुम आरा को टिकट दिया है जो पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता हैं और उनकी छवि साफ बतायी जाती है. जेडीयू ने राजद से पार्टी में आए फराज फातमी को टिकट दिया है जो अभी केवटी से विधायक हैं. फातमी को दरभंगा ग्रामीण से टिकट दिया गया है.


फराज फातमी के पिता एम ए ए फातमी राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री थे जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले राजद से इस्तीफा दे दिया था और जेडीयू में शामिल हो गए थे. बहरहाल, भाजपा के साथ गठबंधन होने के बावजूद जेडीयू ने पसमंदा समूह को आरक्षण जैसे कदमों से मुसलमनों के एक वर्ग में पैंठ बनाने का सफल प्रसास किया है. इसके अलावा पार्टी ने अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को छात्रवत्ति जैसे कदम भी उठाये हैं. पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता जाहिर की है.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समुदाय को आश्वस्थ करने का प्रयास करते हुए प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को विधानसभा में सर्व सम्मति से विरोध करने का प्रस्ताव पारित किया जिसका भाजपा ने भी समर्थन किया. इस प्रकार से जेडीयू ने यह स्पष्ट संकेत देने का प्रयास किया कि धर्मनिरपेक्षता पर उसकी प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई है.


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