बिहार चुनाव 2020 के परिणाम घोषित हो चुके हैं. राज्य में एक बार फिर नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही हैं. हालांकि जेडीयू को इस बार के चुनाव में 243 में 43 सीटों पर ही जीत मिली है. बीजेपी ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल ने 75 सीटों पर जीत दर्ज का लारेजस्ट सिंगल पार्टी बनकर उभरी है. असदुद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की.


एआईएमआईएम की बिहार की 20 सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें सीमांचल की पांच सीटों पर जीत दर्ज की. चुनाव विश्लेषकों और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का मानना है कि अगर औवेसी कांग्रेस, आरजेडी के साथ गंठबंधन कर चुनाव लड़ती, तो आरजेडी को 11 अन्य सीटों पर जीत मिलती. एआईएमआईएम ने मुस्लिम वोट के साथ-साथ दलित और पिछड़ों का भी वोट हासिल किया. अमौर, वायसी, जोकीहाट और कोचाधामन सीट पर औवेसी की पार्टी ने जीत दर्ज की .


 मुस्लिम वोटों की दावेदार थी आरजेडी, एमआईएमआईएम को मिला वोट


आरजेडी सीमांचल के इन वोटों की दावेदार थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इससे साफ होता है कि औवेसी की पार्टी ने बीएसपी, एलजेपी जैसी पार्टियों के मुकाबले आरजेडी को बड़ा झटका दिया है. साल 2015 के चुनाव में औवेसी की पार्टी एक भी सीट नहीं जीती थी. लेकिन इस जीत के साथ ही औवेसी का कद बिहार में बढ़ गया है. चुनावी पंडितों का मानना था कि एलजेपी भी आरजेडी को टक्टर देगी, लेकिन पार्टी एक ही सीट पर अलग से चुनाव लड़ने से आरजेडी बीजेपी-जेडीयू नीत एनडीए को नहीं रोक पाई.


कांग्रेस ने औवेसी को ठहराया जिम्मेदार


कांग्रेस(19) और राजेडी(74) ने मिलकर 93 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने महागठबंधन की सफलता पर बधाई दी और औवेसी को महागठबंधन की हार के लिए जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा,"बिहार चुनावों में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को मिली सफलता के लिए में बधाई देता हूं. एक बार फिर ओवैसी जी की एमआईएम ने चुनाव लड़ कर बीजेपी को अंदरूनी तौर पर मदद कर दी. देखना है वह बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सरकार बनाने में एनडीए का सहयोग करेंगे या महागठबंधन का."



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