पटना :राजनीति चाहे केन्द्र की हो या राज्य की परिवारवाद हमेशा हीं बहस का मुद्दा बनता रहा है. राजनैतिक पार्टियां लाख दावे कर लें. लेकिन जब टिकट बंटवारे की बात आती है तो इस परिवारवाद से कोई भी खुद को अलग नही कर पाता है. इस बार भी बिहार चुनाव में नेताओं के बेटा बेटी और पत्नी की बल्ले बल्ले है.
टिकट बंटवारें में परिवारवाद किस दल पर कितना हावी
एनडीए हो या महागठबंधन सीटों के तालमेल के बाद टिकट बंटवारे की उलझनों में इन दलों में कितने जुड़े तो कितने हीं टूटे.अब बात जब सीट बंटवारे की आई को तमाम दलों में एक बार फिर परिवारवाद हावी दिखा. अभी तक जितने भी टिकट बटे हैं उनमें राजद सभी दलों में सबसे आगे रहा. राजद की ओर से जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया जा चुका है उनमें आधा दर्जन पार्टी नेताओं के परिजनों को टिकट मिली है यानि किसी की पत्नी तो किसी के बेटी या बेटे को, इनमें राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर कुमार सिंह को रामगढ़ से तो राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी को शाहपुर से पूर्व मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह को ओबरा से टिकट मिला है, पूर्व सांसद जयप्रकाश यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को तारापुर से टिकट मिला है तो राजबल्लभ यादव की पत्नी बिभा देवी को नवादा तो अरुण यादव की पत्नी किरण देवी को संदेश से टिकट मिला है. जदयू द्वारा अब कर जिन प्रत्याशियों को टिकट मिली है उनमें परबत्ता विधायक आर एन सिंह के बेटे डॉ संजीव को टिकट मिला है, तो घोषी विधान सभा सीट से पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे राहुल कुमार को मिला टिकट, कांग्रेस ने अभी तक सीटों की घोषणा नहीं की है लेकिन कहलगाँव सीट से पार्टी विधान मंडल दल के नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद के लड़ने की संभावना है इसी तरह कुर्था सीट से पार्टी के सांसद डॉ अखिलेश सिंह के बेटे आकाश सिंह के नाम की चर्चा है पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की बहू नीतू सिंह के हिसुआ से चुनाव लड़ने की संभावना हैं. अब बात करें तो हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी की तो मांझीजी ने अपनी सात सीट में एक पर खुद तो दूसरे पर दामाद देवेन्द्र मांझी और तीसरे पर समधन ज्योति देवी को टिकट दिया है.