(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिहार चुनाव: सीटों की खींचतान नाजुक मोड़ पर, 'नाराज' कांग्रेस को आरजेडी ने जिद छोड़ने की नसीहत दी
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को बिहार के प्रदेश अध्यक्ष और विधानमंडल दल के नेता को दिल्ली बुलाया है. बुधवार 3 बजे बिहार की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी है.
नई दिल्ली: बिहार में मुख्य विपक्षी गठबंधन यानी आरजेडी-कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर खींचतान नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है. उच्च सूत्रों के मुताबिक सीट बंटवारे को लेकर आरजेडी के रवैये से कांग्रेस खफा है और आरजेडी के बिना गठबंधन की संभावना तलाशने में जुट गई है. वहीं कांग्रेस के रुख में आए बदलाव को भांपते हुए आरजेडी उसे हठधर्मिता छोड़ने की नसीहत दे रही है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस गठबंधन में 75 से 80 सीटें चाहती है, जबकि आरजेडी उसके लिए 60 से 65 सीटें छोड़ना चाहती है. बिहार में लोकसभा की एक सीट पर उपचुनाव भी है, जिस पर कांग्रेस का दावा है. 10 से 15 सीटों को लेकर फंसा पेंच सुलझने की बजाय उलझता जा रहा है. कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि इस बार वह दबाव में झुकने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसके पास खोने को कुछ भी नहीं है. 'सम्मानजनक' सीटें नहीं मिलने पर कांग्रेस सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का होमवर्क करके बैठी है.
सुबह तक अगले 3 दिनों में गठबंधन की रूपरेखा तय हो जाने की बात कहने वाले आरजेडी सांसद मनोज झा ने शाम होते होते कांग्रेस नेताओं को संदेश दिया कि "इस चुनाव के मिजाज को समझिए. यह चुनाव दो सीट आगे-पीछे का चुनाव नहीं है. आपको जो संख्या बताई गई है वह अपने आप में परिपूर्ण है. लड़ाई का मकसद यह नहीं है कि कौन कितनी सीट पर लड़ रहा है. हम बीजेपी-जेडीयू की जनविरोधी सरकार को हराना चाहते हैं."
मनोज झा ने कहा कि वामदलों समेत दूसरे दलों को आरजेडी ने अपने हिस्से से सीटें दी. कांग्रेस से अपील करते हुए उन्होंने कहा, "हठधर्मिता से नुकसान ना हो जाए. हठधर्मिता गठबंधन पर भारी ना पड़ जाए. बदलाव का इंतजार कर रहे लोगों को मायूसी हाथ ना लगे." हालांकि मनोज झा यह भी कहा कि कांग्रेस को साथ लेते हुए 24 घन्टे में हम जनता के सामने विकल्प रख देंगे.
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को बिहार के प्रदेश अध्यक्ष और विधानमंडल दल के नेता को दिल्ली बुलाया है. बुधवार 3 बजे बिहार की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी है.
हालांकि दोनों पार्टियों को पता है कि भलाई गठबंधन में ही है. पहले ही जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन से किनारा कर चुके हैं. इसलिए कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन पर खतरा है या नहीं यह कहना मुश्किल है. फिलहाल यह दबाव की राजनीति ज्यादा लगती है. देखना यही है कि दबाव में झुकता कौन है?
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