पटना : बिहार विधानसभा के चुनाव के तीसरे और आखिरी चरण में आरजेडी ने अपने 46 प्रत्याशी उतारे हैं हालांकि तीसरे चरण के इस चुनाव में खास बात ये है कि आरजेडी ने अपने अधिकतर पुराने ही प्रत्याशियों पर अपना भरोसा जताया है.



वो चेहरे जिनकी हारजीत के सियासी मायने



विधान सभा के तीसरे चरण के चुनाव में आरजेडी की ओर से चार बड़े चेहरे चुनावी मैदान में हैं इनमें दो नेताओं का सियासी व्यक्तित्व बेहद खास है उनकी हार या जीत से राजनीतिक मायने बनते बिगड़ते हैं. इनमें केवटी से पार्टी के सबसे वरिष्ठ मुस्लिम प्रत्याशी अब्दुल बारी सिद्धकी और दलित फेश रमई राम शामिल है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भोला यादव और लवली आनंद की प्रतिष्ठा भी इसी चरण में दांव पर लगी है अब्दुल बारी सिद्दीकी केवटी से पार्टी के प्रत्याशी है इनकी खासियत यह है कि ये सात बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं एक बार विधान पार्षद भी रह चुके हैं हालांकि अभी तक ये अलीनगर से चुनाव लड़ते थे. मुस्लिम बहुल इलाके में सिद्धिकी राजद के ट्रंप कार्ड माने जाते हैं. और इस बार जब ओवैसी की पार्टी से महागठबंधन की सीधी टक्कर है और मुस्लिम आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक है इन्हीं बातों के मद्देनजर उनकी परंपरागत सीट से बदलकर से इन्हे केवटी से उतारा गया है. हायाघाट विधानसभा क्षेत्र से विधान चुनावी मैदान में उतरे हैं भोला यादव, भोला यादव की सबसे बड़ी खासियत है कि ये आरजेडी सुप्रीमों लालू यादव के सबसे करीबी और अहम हैं.तीसरे नेता हैं रमई रामजिनती साख दांव पर लगी है रमई राम की सबसे बड़ी खासियत है कि इन्होने बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक 10 बार विधान सभा चुनाव लड़े हैं और 9 बार जीत हासिल की है और यह अपने आप में रिकॉर्ड है, वह 40 साल से विधायक हैं. 20 साल तक राज्य सरकार से अलग-अलग विभागों में मंत्री भी रह चुके हैं. इस बार वे ग्यारहवीं बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. प्रदेश में सर्वाधिक दलित चेहरों में एक चेहरा है दलित नेता शिवचंद्र राम जो पातेपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. और हाल ही में आरजेडी में शामिल हुई लवली आनंद सहरसा से चुनावी मैदान में है लवली आनंद की सीट सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है
बतातें चलें कि तीसरे चरण के चुनाव में वामदल 7 कांग्रेस 25 आरजेडी 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है