बिहार चुनाव में तू तू मैं मैं, आरजेडी ने मुख्यमंत्री पर भाषायी मर्यादा तोड़ने का लगाया इल्जाम, तल्ख हुई जेडीयू
राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मुख्यमंत्री पर भाषायी मर्यादा तोड़ने का लगाया इल्जाम तो इस पर तल्ख हुई जेडीयू
बिहार : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सियासी पारा अपने चरम पर है. एक तरफ जहां राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने में लगी हैं तो दूसरी तरफ अपने प्रतिद्वंदी के साथ जुबानी जंग का भी कोई मौका नहीं चूक रहे. हर दिन चुनावी सभाओं की तरह जुबानी सभा का भी होता है आगाज और चल पड़चा है आरोप प्रत्यरोपों का सिलसिली. इसी कड़ी में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने मुख्यमंत्री पर भाषायी मर्यादा तोड़ने का लगाया इल्जाम तो इस पर तल्ख हुई जेडीयू
आरजेडी ने लगाया ये आरोप
आरजेडी के राज्य सभा सांसद मनोज झा ने कहा कि अगर तेजस्वी यादव 10 लाख नौकरी देने की बात करते हैं तो मुख्यमंत्री और बीजेपी के लोग वो भाव दिखाने में कंजूसी क्यों दिखा रहे हैं जबकि बिहार की जनता समझ रही है, बस पोलिटिकल विल होना चाहिए. बिहार में इस सरकार में कितने घोटाले हुए, जितने पैसे के घोटाले हुए क्या उन पैसों से सरकारी नौकरियों में लोगों को तन्ख्वाह नही दे सकते थे. हमारी सरकार आयेगी तो सब करेंगे.साछ हीं ये भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाषाई मर्यादा तोड़ते हैं. तेजस्वी यादव, नीतीश जी कहते है और नीतीश कुमार तुम और तू बोल कर अपने भाषण में नेता विपक्ष को सम्बोधित करते हैं. चुनाव की गर्मी में आचरण नही भूलना चाहिए. नीतीश कुमार थक चुके हैं उन्हें ये समझना चाहिए. बिहार को थकी,उबाऊ और बासी सोच से मुक्ति चाहिए.
आरजेडी के इल्जाम पर तल्ख हुई जेडीयू
आरजेडी के इल्जाम पर तल्ख हुए जेडीयू के नेता. जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि भ्रष्टाचार और घोटाला कांग्रेस और आरजेडी के लिए पर्यायवाची शब्द हैं. ये लोग अगर इस तरह की बातें करते हैं तो इनको एक बार विचार जरूर करनी चाहिए कि ये उस पार्टी के लोग हैं जहां के वरिष्ठ नेता इंसान तो इंसान जानवरों तक का चारा खा जाते हैं, अगर यह बिहार में नौकरी की बात करते हैं तो एक बार फिर से हाथों में तमंचा और अपहरण उद्योग को वापस लाने का ऐलान कर रहे हैं. मुख्य मंत्री नीतीश कुमार पर लगे भाषायी आरोप पर जवाब देते हुए राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार जी बिहार में शालीनता की प्रतिमूर्ति माने जाते हैं ,अगर किसी को प्यार से कभी तुम का संबोधन कर दिया हो तो उसे इशू ना बनाया जाए जहां तक आरजेडी का सवाल है अनुशासन और शालीनता उनसे सीखने की जरूरत नहीं क्योंकि उन्हें तो उसका मतलब भी पता नहीं है. चुनावी अखाड़े में एक दूसरे पर जुबानी वार कर राजनीतिक पार्टियां इस चुनावी बैतर्नी को पार करने में कोई कसर नही छोड़ना चाहती.ऐसे में आरोप- प्रत्यारोपों का ये सिसिला चुनाव के परिणाम तक यूं हीं बरकरार रहेंगे.