पटना: बिहार में तीसरे और अंतिम चरण के विधानसभा चुनाव के लिए कल 78 सीटों के मतदान होना है. ऐसे में यह अंतिम चरण के चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. पिछले चुनाव के आंकड़ो को देखें तो इस बार इस चरण में जहां आरजेडी और जेडीयू के लिए अपनी पुरानी सीटों को बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी वहीं बीजेपी इस चरण में 2010 के चुनाव में मिलने वाली सफलता दोहराने के लिए मशक्कत कर रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े
इस चरण में 78 सीटों पर होने वाले चुनाव में एनडीए के तहत जेडीयू 37 सीटों पर चुनावी मैदान में है वहीं बीजेपी सीटों पर चुनाव लड़ रही है इसके अलावा राजग में शामिल वीआईपी के पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के एक प्रत्याशाी चुनावी मैदान में है. दूसरी और महागठबंधन के तहत आरजेडी 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं कांग्रेस 25 सीटों पर चुनावी मैदान में है.
पिछले चुनाव में किसके पाले में कितनी सीट
अब बात 2015 के चुनाव की करें तो पिछले चुनाव में महागठबंधन ने इन 78 सीटों में से 54 सीटें जीती थीं, पर इस चुनाव में स्थिति और ग्राफ दोनो बदल चुके हैं. महागठबंधन की शक्ल बदल गई है.जेडीयू के महागठबंधन छोड़ एनडीए में शामिल होने से जेडीयू और आरजेडी दोनों के लिए इस चुनाव में अपनी सीट बचाना एक बड़ी चुनौती बन गई है.पिछले चुनाव में इन दोनो दलों के साझा गठबंधन में जेडीयू ने 23 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी तो राजद ने 20 सीटों पर जीत हासिल की थी
पिछली बार की दोस्ती दुश्मनी में बदल इस बार तीसरे चरण के चुनाव में आरजेडी और जेडीयू 23 सीटों पर आमने-सामने हैं जबकि 20 सीटों पर आरजेडी की लड़ाई बीजेपी से है, वहीं कांग्रेस भी 14 सीटों पर से बीजेपी और नौ सीटों पर जेडीयू के मुकाबले में खड़ी है.
नीतीश सरकार के साझा गठबंधन में वर्ष 2010 में बीजेपी ने 91 सीटों में से 27 सीटें इस क्षेत्र से जीती थी और शायद उसी उम्मीद और इतिहास को दोहराने के लिए बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी पूरी ताकत लगा दी है.
सीमांचल की तस्वीर
बिहार चुनाव का इतिहास रहा है कि कोशी और सीमांचल का चुनाव किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं रहा है.यहां दलगत राजनीति सबसे ज्यादा हावी रही है पिछले चुनाव में यह इलाका आरजेडी के वोट बैंक के लिए सुरक्षित मानी गई थी लेकिन इस बार ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम पहले से ही इस मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में अपने प्रत्याशी उतारकर आरजेडी के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की कोई कसर नही छोड़ी है.
कांग्रेस के लिए तीसरा चरण अहम
इस बार के नए समीकरण में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के लिए भी इस तीसरे चरण का चुनाव कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. इस चरण में कांग्रेस के आधे निवर्तमान विधायकों की अग्नि परीक्षा है. पिछले चुनाव में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव जीता था पर इस बार महागठबंधन में कांग्रेस की चार सीटिंग सीटें सहयोगी दलों के खाते में चली गई है. इस चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें मिली हैं, उसमें 23 सीटिंग सीटें हैं, जिसमें इस चरण में 11 सीटें शामिल हैं, जिन्हे फिर से अपने कब्जे में रखना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है.
कुल मिलाकर इतना तो साफ है कि ये अंतिम चरण तमाम राजनैतिक दलों के लिए निर्णायक चरण है अब इस अंतिम दौर में किसकी किस्मत कितना साथ देती है और कौन इन इलाकों का बाजीगर होता है ये तो 10 नवंबर के मतगणना के बाद हीं पता चलेगा.