पटना :नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के 10 लाख रोजगार की घोषणा ने बिहार के चुनाव कोई बड़ा मुद्दा दिया है एक ओर राजद लगातार अपने इस घोषणा को भुनाने में जुटी है तो  दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल जदयू लगाता इन्हे नकारने में जुटा है. आज दूसरे चरण के चुनाव के बीच जदयू के प्रवक्ताओं ने एक प्रेस कांफ्रेंस किया  और तेजस्वी के द्वारा किए जा रहे वायदों का जवाब दिया कोशिश रही कि तार्किक जवाब देकर तेजस्वी के घोषणाओं को नकारा जाए.


तेजस्वी के वायदों का जेडीयू ने किया पोल खोल


बिहार विधान सभा के दूसरे चरण के बीच जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, डॉ निहोरा प्रसाद यादव और अरविंद निषाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर किया चुनाव का सबसे बड़ा खुलासा.जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि 10 लाख सरकारी नौकरी देने की स्कीम बताई 9वी फेल आइंस्टाइन तेजस्वी ने जब 10 लाख नौकरियों के लिए कहाँ से जुटाएंगे तेजस्वी यादव.


तेजस्वी यादव के वादों पर राजीव रंजन ने कही ये बातें


राजीव रंजन ने तेजस्वी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जनाब के पास दस लाख नौकरियां देने की कोई योजना नहीं है, लेकिन हर चुनावी सभा में बिहारी युवाओं को दे रहे हैं दस लाख सरकारी नौकरियों का झांसा, झांसा देना इनकी पुरानी आदत है. अब जरा ये बताएं कि ये कैसे देंगे युवाओं को 47.70 पैसे प्रतिमाह की नौकरी. तेजस्वी यादव ने कहा था कि हम सभी विधायकों, पार्षदों और मंत्रियों कि सैलरी भी काटेंगे. अब ज़रा तेजस्वी जी के गणित का हिसाब भी लगा लीजिए.बिहार की विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या है..243प्रति विधायक प्रतिमाह वेतन है.डेढ़ लाख रुपयेयानी कुल वेतन हुआ तीन करोड़ चैंसठ लाख रुपये
अब इसी में विधान परिषद के सदस्यों यानी एम एल सी का वेतन भी जोड़ लीजिए.प्रति एम एल सी प्रतिमाह वेतन है डेढ़ लाख रुपये यानि कुल वेतन हुआ एक करोड़ बारह लाख पचास हजार रुपयेयानि विधानसभा और विधानपरिषद के सभी सदस्यों का कुल वेतन होगा, कुल चार करोड़ सतत्तर लाख रुपये प्रतिमाह.अब आधुनिक आंइस्टीन, तेजस्वी जी के तेज दिमाग के गुणा-गणित को समझिए..इस चार करोड़ सतत्तर लाख रुपये को दस लाख से भाग कर दीजिए तो आपके पास कुल हिसाब बचता है सैंतालिस रुपये सत्तर पैसे प्रति व्यक्ति..अब कौन समझाए इन महाज्ञानी युवराज को कि दस लाख युवाओं को सरकारी नौकरी का झांसा देते हुए उनके हिसाब में चूक हो गई है. बिहारी युवाओं को झांसा देने की तरकीब समझाते-समझाते तेजस्वी यादव अपने ही गणित में उलझ गए.अब आप ही बताइए सैंतालिस रुपये सत्तर पैसे की सरकारी नौकरी देने का वादे पर सत्ता की कुर्सी पर नज़रे जमाए बैठे हैं. वाह रे जंगलराज के युवराज,आपके पांव भी पालने में ही नज़र आ रहे हैं.तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आज भी जातीय वैमनष्य की राजनीति से बाहर निकल नहीं पा रही है. पहले सवर्ण आरक्षण का विरोध, फिर बाबू साहब प्रकरण ने इस मानसिकता को उजागर कर दिया है.


डॉ निहोरा प्रसाद ने कसा तंज


डॉ निहोरा प्रसाद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि परिवारवाद ने लोकतंत्र को कमजोर किया है. जनता इसके खिलाफ कमर कस चुकी है.तेजस्वी यादव कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं तो लोग हंसते हैं, जिनके पंद्रह वर्ष के सरकार में कानून के राज के स्थान पर गन का राज था,अवैध हथियारों के मामले में बिहार अव्वल था. 13 फरवरी1992 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद ने कहा कि मेरी भी जान सुरक्षित नहीं है. अधिकारियों पर सरकार का नहीं उग्रवादियों एवं नक्सलियों का नियंत्रण था. अधिकारियों को उग्रवादियों एवं नक्सलियों के जन अदालत में शामिल होना एवं लेवी भी देनी पड़ती थी.


अरविंद निषाद ने कही ये बातें


अरविंद निषाद ने तंज कसते हुए कहा कि श्री तेजस्वी यादव राजद की अति पिछड़ा विरोधी सोंच को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस क्षेत्र में जो कार्य किये गए हैं, उसके लिए अति पिछड़ा वर्ग पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में लामबंद है.