बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक के मिले आंकड़ों के हिसाब से राज्य में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है. एग्जिट पोल से उलट आ रहे नतीजों के बाद मायूस एनडीए खेमे में अब खुशी की लहर छा गई रही है. ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि जिस बात को लगातार बीजेपी दोहराती रही कि सीटें कम आए या ज्यादा मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही होंगे, क्या वे अपने इस वादे पर टिकी रहेगी? या बीजेपी बिहार में सरकार बनाने के लिए महाराष्ट्र का फॉर्मूला अपनाएगी?


क्या है महाराष्ट्र फॉर्मूला
अगर, अतीत में सरकार के गठन पर नजर डालें तो महाराष्ट्र में कम सीटें आने के चलते बीजेपी को वहां पर शिवसेना को अपना बड़ा भाई मानना पड़ा था और पहली बार 1995 में राज्य में शिवसेना का पहली बार मुख्यमंत्री बना था. उस वक्त मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था जबकि बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे डिप्टी सीएम बने थे.


दरअसल, 1990 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना 183 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 52 सीटें जीती थी, जबकि बीजेपी 105 पर लड़कर 42 सीटें जीती थी. यह फॉर्मूला 1995 के चुनाव में अपनाया गया. लेकिन, उस समय शिवसेना को 73 सीटें मिली थी जबकि बीजेपी 65 सीट पर सिमट गई थी.


2020 में कितने सीटें पर लड़े एनडीए एक दल?
बिहार चुनाव में एनडीए के घटक दल जेडीयू 115 सीट, बीजेपी 110 सीट, वीआईपी 11 और हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा पर चुनाव लड़ा था. महागठबंधन में आरजेडी ने 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जबकि, कांग्रेस-70, सीपीआई (एमएल)-19, सीपीआई-6 और सीपीएम-4 सीटों पर चुनाव लड़ी थीं.


ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव में हार देख पप्पू यादव ने फोड़ा ईवीएम पर ठीकरा, कार्ति ने कहा- EVM पर दोष गलत