नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोमवार को कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 15 साल के शासन काल के दौरान उत्पन्न सत्ता विरोधी लहर 2005 में लालू प्रसाद यादव नीत आरजेडी के कार्यकाल में पैदा हुई लहर से भी बड़ी है.


चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन से इसलिये बाहर आई है ताकि मौजूदा गठबंधन में बने रहने को लेकर बाद में उन्हें किसी बात का 'अफसोस' न हो.


उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने तय कर लिया है कि वे नीतीश कुमार को एक बार फिर से मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते. उन्होंने आरोप लगाया कि जदयू नेता कुमार का ध्यान बिहार के विकास के लिये काम करने के बजाय केवल मुख्यमंत्री बने रहने पर है.


पासवान ने कुमार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कुमार के लंबे शासन काल में कोई काम नहीं हुआ और बिहार को विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी नीत सरकार बनने पर वास्तव में 'डबल इंजन' की सरकार मिलेगी, जिसका जिक्र अकसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करते रहे हैं.


चिराग पासवान CM उम्मीदवारी पर क्या बोले?


पासवान ने एक इंटरव्यू के दौरान खुद के मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षाओं से इनकार करते हुए कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि चुनाव के बाद बीजेपी सरकार का नेतृत्व करे.


उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि 2013 में उनके पास मोदी और कुमार में से किसी एक को चुनने का विकल्प था और उन्होंने नीतीश की जगह मोदी को चुना. गौरतलब है कि कुमार की पार्टी जदयू ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ छोड़ दिया था.


पासवान ने कहा, ''2014 में जब मैंने पहली बार चुनाव लड़ा तब से ही प्रधानमंत्री का समर्थन, उन पर विश्वास और उनकी प्रशंसा करता रहा हूं. नीतीश कुमार बार-बार पलटी मारते रहे हैं. उन्होंने 2017 में लालू प्रसाद से हाथ मिलाया और बाद में राजग में आ गए. वह राज्य के विकास के लिये काम करने के बजाय यही सोचते रहे कि मुख्यमंत्री की कुर्सी कैसे बचाई जाए. '' उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी कुमार के नेतृत्व में विश्वास नहीं रहा.


नीतीश कुमार 2005 के बाद से कुछ समय को छोड़कर बिहार के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन के बाद कुछ समय के लिये जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था. 2005 से पहले 15 साल तक बिहार में आरजेडी का शासन था.


गौरतलब है कि लोक जनशक्ति पार्टी ने रविवार को बिहार में राजग का साथ छोड़ने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि वह कुमार के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर सकती. राजग की प्रमुख पार्टी बीजेपी पहले ही नीतीश कुमार को गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है.


एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने राजग से बाहर आने का फैसला सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद के चलते नहीं बल्कि केवल इस तथ्य को ध्यान में रखकर लिया कि नीतीश कुमार ने भविष्य की सरकार के अपने एजेंडे में उनके 'पहले बिहार, पहले बिहारी' के विचार को जगह नहीं दी.


पासवान ने कहा कि कुमार ने 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन के दौरान 'सात निश्चय' एजेंडा तैयार किया था और अब उन्होंने घोषणा की है कि अगर सत्तारूढ़ गठबंधन दोबारा सत्ता में आता है तो वह उसी एजेंडे पर चलेंगे.


उन्होंने कहा, ''मैं चाहता हूं कि सरकार के कामकाज में मेरे एजेंडे को भी शामिल किया जाए. उनके फैसले ने मेरी पार्टी के लिये कोई जगह नहीं छोड़ी. तब से मैंने तय किया कि मैं उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहता.''


उन्होंने कहा, ''बीते 15 साल के शासनकाल के दौरान उनके एजेंडे से कुछ हासिल नहीं हुआ है. मुझे इस बात का अफसोस होता अगर वह मेरी वजह से अगले पांच साल के लिये फिर से मेरे राज्य के मुख्यमंत्री बन जाते. मुझे जीवनभर इस बात का अफसोस रहता कि मेरी वजह से मेरे राज्य को पांच साल और सब कुछ झेलना पड़ता.''


बिहार में तीन चरणों में चुनाव होना है. पहले चरण के लिये 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिये तीन नवंबर और तीसरे चरण के लिये सात नवंबर को मतदान होगा. 10 नवंबर को मतगणना होगी.


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