नई दिल्ली: क्या एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान NDA से अलग कोई और रास्ता तलाश रहे हैं? ये सवाल खड़ा हुआ है लोक जनशक्ति पार्टी के एक विज्ञापन से जो बिहार के सभी अख़बारों में तो छपा ही है, दिल्ली और मुम्बई के सभी प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बारों में भी छपा है. ऐसा पहली बार हुआ है जब पार्टी ने इतने बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है, बिहार के अंदर भी और बाहर भी. विज्ञापन में जो नारे लिखे गए हैं उससे अटकलें लगनी तय है कि क्या लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान सचमुच बिहार में एनडीए से अलग रास्ते की तलाश में हैं?


विज्ञापन में क्या नारा दिया गया है?


विज्ञापन के माध्यम से चिराग पासवान ने एक साथ कई सन्देश देने की कोशिश की है. विज्ञापन में एक नारा लिखा है- ' आओ बनाएं नया बिहार, युवा बिहार... चलो चलें युवा बिहारी के साथ'.  लोजपा सूत्रों का कहना है कि इस नारे के साथ चिराग पासवान ने बिहार के एक स्वतंत्र भावी युवा नेता के तौर पर अपना दावा पेश किया है.


चिराग पासवान दो बार सांसद तो बन गए लेकिन बिहार की राजनीति में उनका दख़ल काफ़ी सीमित रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर उन्होंने अपना दावा पेश किया है.


अपना आधार बढ़ाना चाह रही है लोक जनशक्ति पार्टी


एक राजनीतिक पार्टी के तौर पर भी लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में अपना आधार बढ़ाना चाह रही है. विधानसभा चुनाव के ऐन पहले भी चिराग पासवान ने पार्टी में फेरबदल करते हुए गुरुवार को बिहार में कई जिलों के अध्यक्षों को बदल दिया. ज़ाहिर है, कोशिश इस बात की हो रही है कि बिहार में पार्टी को एक सशक्त विकल्प के तौर पर खड़ा किया जाए. हालांकि पार्टी सूत्रों ने साफ़ किया कि फ़िलहाल पार्टी का पूरा फोकस बिहार में ही अपने संगठन को मज़बूत करने पर है.


पिछले साल नवम्बर में जबसे चिराग पासवान पार्टी के अध्यक्ष बने हैं तबसे उन्होंने अपनी बिहारी पहचान को सुदृढ करने की कोशिश की है. अपने ट्विटर अकाउंट पर अपने नाम के आगे युवा बिहारी लगाना उसी प्रयास का हिस्सा था. इतना ही नहीं , कोरोना संक्रमण शुरू होने के पहले उन्होंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट नाम से एक यात्रा भी निकाली और पार्टी के प्रस्तावित घोषणा पत्र को भी बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डोकुमेंट नाम दिया गया है.


विज्ञापन में बिहारी अस्मिता की भी बात इसी इरादे से की गई है. यही वजह है कि विज्ञापन में माता सीता से लेकर जयप्रकाश नारायण , महात्मा गांधी और कर्पूरी ठाकुर तक ऐसे सभी लोगों की बात की गई है जिनका बिहार के इतिहास में कोई योगदान रहा हो.


बिहार में एक उभरते हुए युवा नेता के तौर पर बनी चिराग की छवि


इसके अलावा बिहार के युवाओं को लुभाने की कोशिश भी हो रही है. इसमें कोई शक नहीं कि चिराग पासवान की छवि बिहार में एक उभरते हुए युवा नेता के तौर पर बनी है. युवाओं को लुभाने के लिए विज्ञापन में दावा किया गया है कि पार्टी धर्म और जात से अलग समाज के सभी वर्गों की बात करती है.


ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि आख़िर चिराग पासवान के मन में क्या है और क्या वो सचमुच एनडीए से बाहर जाने का मन बना सकते हैं ? 7 सितंबर को पार्टी के बिहार संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है. पार्टी सूत्रों का दावा है कि बैठक में चुनावी तैयारियों की समीक्षा के साथ साथ कुल 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना पर भी चर्चा की जाएगी.


इस महीने एनडीए में सीट बंटवारे पर हो सकती है बातचीत


अगर राज्य में चुनाव अपने नियत समय पर होना है तो इस महीने एनडीए में सीट बंटवारे पर भी बातचीत पूरी होने की संभावना है. वहीं बिहार एनडीए में जीतन राम मांझी के रूप में एक और दलित नेता का प्रवेश हो चुका है. ऐसे में राजनीतिक पंडित इसे ज़्यादा से ज़्यादा सीटें पाने के लिए बढ़ाया जा रहा दबाव भी मानते हैं.


बिहार एनडीए के दो घटक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों , जेडीयू के नीतीश कुमार और लोजपा के चिराग पासवान , के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है. चिराग पासवान लगातार नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. गाहे बेगाहे चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोजपा के एनडीए छोड़कर जाने की अटकलें भी लगती रहती हैं लेकिन अभी तक वो एनडीए का हिस्सा बने हुए हैं.