औरंगाबाद: विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा बढ़ता जा रहा है. इस बार के चुनाव में औरंगाबाद के तीन विधानसभा क्षेत्र में राजनीति के तीन धुरंधर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है. इस बार ये तीनों अपनी पारिवारिक विरासत को बचाने के लिए चुनावी मैदान में हैं.


पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के पुत्र हैं कुटुंबा विधायक


औरंगाबाद के कुटुंबा विधानसभा से वर्तमान विधायक राजेश कुमार को राजनीति विरासत में मिली है. राजेश कुमार के पिता दिलकेश्वर राम सफल राजनीति करते हुए चार बार विधायक रहे थे. 1980 में देव विधानसभा आरक्षित क्षेत्र से दिलकेश्वर राम विधायक बने. 1985 में वे दोबारा चुनाव जीते और बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री रहे. उनके उल्लेखनीय कार्यों को लोग आज भी याद करते हैं. राजेश कुमार वर्तमान में कुटुंबा विधानसभा से विधायक हैं. वर्ष 2015 में इन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संतोष मांझी को 10 हजार वोट से हराकर विजयी बने थे. राजेश 2010 में भी कांग्रेस से चुनाव लड़े जहां इनको मात मिली थी. जदयू से प्रत्याशी रहे ललन राम ने राजेश को हराया था. उस चुनाव में राजेश कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे.


अशोक सिंह को मिली विरासत में राजनीति


जिले के रफीगंज विधानसभा क्षेत्र के विधायक अशोक कुमार सिंह को राजनीति विरासत में मिली है. अशोक के पिता रामाधार सिंह वर्ष 1990 से 1995 तक गुरुआ विधानसभा से निर्दलीय विधायक रहे थे. इनका कार्यकाल काफी बेहतर रहा था. अशोक ने अपनी राजनीति की शुरुआत वर्ष 2005 से की है. 2005 में अशोक सिंह ने लोजपा की टिकट से चुनाव हार गए. राजद के प्रत्याशी रहे मो. नेहालुद्दीन ने करीब 13 हजार वोट से अशोक को हराया था. 2010 का चुनाव अशोक के लिए वरदान साबित हो गया इस चुनाव में जदयू की टिकट से चुनाव लड़ रहे अशोक ने नेहालुद्दीन को करीब 23 हजार वोट से हराया था. 2015 का विधानसभा चुनाव में कांटे का टक्कर, लेकिन जनता ने पुन: अशोक सिंह पर भरोसा जताया और 9 हजार वोट से विजेता बनाया.


मनोज शर्मा के पिता रहे हैं दो बार विधायक


गोह विधानसभा क्षेत्र की राजनीति का एक अलग ही इतिहास रहा है. इस क्षेत्र में हमेशा कांटे की टक्कर रहती है. विरासत की राजनीति कर रहे वर्तमान विधायक मनोज शर्मा के पिता देवकुमार शर्मा दो बार विधायक रहे थे. देवकुमार शर्मा गोह विधानसभा से 1985 से 1990 तक कांग्रेस एवं 2000 से 2005 तक समता पार्टी से विधायक रहे. पिता के सानिध्य में मनोज शर्मा ने राजनीति की शुरुआत की. पहली बार मनोज ने 2015 में विधानसभा का चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़े. मनोजने जदयू के टिकट से चुनाव लड़ रहे रणविजय सिंह को करीब सात हजार मतों से हराया. दोनों के बीच कांटे टक्कर थी.