नई दिल्ली: बिहार एनडीए में सीटों में बंटवारा कब तक होगा इसपर तस्वीर साफ़ होने में अभी 2-3 दिन और लग सकते हैं. बात तीनों दलों को मिलने वाली सीटों की संख्या पर तो अटकी ही है लेकिन एक बड़ी बाधा पसंद वाली सीटों पर सहमति नहीं बन पाना है.


एलजेपी सूत्रों का कहना है कि उनका ज़ोर इस बार सीटों की संख्या के साथ साथ इस बात पर भी है कि उन्हें कौन कौन सीटें दी जा रही हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि उन्हें जो भी सीटें दी जाएं वो उनके पसंद की हो. पार्टी सूत्रों ने दो दिनों पहले 27 सीटों की आई सूची का हवाला दिया है. सूत्रों का कहना है कि इस सूची में मात्र 10 सीटें ही पार्टी के पसंद की थी जबकि बाक़ी महज संख्या बढ़ाने के लिए दी गई थी और उनपर जितने की संभावना न के बराबर थी.


इसी तरह पार्टी सूत्र 2015 में विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को दी गई 42 सीटों का हवाला देते हैं. उनका कहना है कि इन सीटों में से महज 7 सीटें पार्टी की पसंद वाली थीं जबकि बाक़ी केवल खानापूर्ति के लिए दी गई थीं.  इनमें से भी कुछ सीटों पर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे , हालांकि चुनाव चिन्ह एलजेपी का ही था. पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब केवल 7 सीटें ही काम की दी गई तो 42 सीटों की संख्या का क्या मतलब था?


इसलिए पार्टी ने इस बार संख्या के साथ अपनी पसंद की सीटें चुनने की शर्त भी रखी है. इस शर्त के चलते भी सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में बाधा आ रही है और बात अटकी पड़ी है. पार्टी चाहती है कि सीटों को तीन श्रेणियों में बांट दिया जाए. पहला, जिसपर गठबंधन में जीत पक्की लगती हो. दूसरा , जहां पहले और दूसरे स्थान के लिए टक्कर हो और तीसरा , जहां जितने की संभावना न के बराबर हो. सूत्रों के मुताबिक़ पार्टी इस बात के लिए तैयार है कि उसे तीनों श्रेणियों की सीटें दी जाएं, शर्त केवल ये है कि पार्टी को ही उन सभी सीटों को चुनने का मौक़ा दिया जाए.


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