Bihar Elections: बिहार चुनाव के नतीजे कल आने वाले हैं. सबकी नजरें तेजस्वी यादव पर टिकी हैं, जिनका आज 31वां जन्मदिन है. लगभग सभी सर्वे बता रहे हैं कि इस बार तेजस्वी यादव इतिहास रचने वाले हैं. पटना में कई जगहों पर तेजस्वी को 31वें जन्मदिन की बधाई देते हुए होर्डिंग और बैनर लगाए गए हैं. लेकिन तेजस्वी यादव के ऑफिस से आरजेडी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ऐसा करने से मना किया गया है.


परिवार के साथ घर पर ही बर्थ डे का केक काटेंगे तेजस्वी


पार्टी ने कहा, ‘सभी शुभचिंतकों और समर्थकों से विनम्र अनुरोध है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी जी के अपने जन्मदिन को सादगी से मनाने के निजी निर्णय का सम्मान करते हुए आप घर पर ही रहे और आवास आकर व्यक्तिगत रूप से बधाई देने से बचें.’’ करीबियों के मुताबिक तेजस्वी आज अपने परिवार के साथ घर पर ही बर्थ डे का केक काटेंगे. आरजेडी के समर्थकों से भी किसी भी तरह के तड़क भड़क और बड़े आयोजन न करने को कहा गया है.


क्या कल तेजस्वी को मिलेगा जन्मदिन का तोहफा?


तेजस्वी अपने जन्मदिन पर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम से इसलिए भी बचना चाहते हैं क्योंकि पिछले साल चार्टर्ड प्लेन में केक काटते हुए तस्वीरों की वजह से ये विरोधियों के निशाने पर आ गये थे. तेजस्वी, लालू-राबड़ी की आठ संतानों में सबसे छोटे हैं, लेकिन अगर कल बिहार की जनता ने इन्हें जन्मदिन पर जीत का तोहफा दे दिया तो इनका कद बिहार की राजनीतिक में सबसे बड़ा हो जाएगा. तेजस्वी ना सिर्फ बिहार के सबसे कम उम्र के सीएम बन जाएंगे, बल्कि केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़ दे तो किसी भी राज्य भी अब तक इतनी कम उम्र में कोई मुख्यमंत्री नहीं बना.


2015 में संभाली डिप्टी सीएम की कुर्सी


साल 2015 के चुनाव में से लालू यादव ने तेजस्वी को सार्वजनिक तौर पर दुनिया से मुखातिब कराया था. कहा जाता है कि 2015 के चुनाव में तेजस्वी के कहने पर ही लालू ने नीतीश के साथ महागठबंधन बनाया था. ये प्रयोग सफल भी रहा. महागठबंधन की सरकार बनी और तेजस्वी ने राघोपुर से चुनाव जीतकर डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाली.


लेकिन साल 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज होने के बाद नीतीश ने आरजेडी से मुंह मोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. ये तेजस्वी की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट था. तमाम मुश्किलों के बावजूद तेजस्वी डिगे नहीं. ना सिर्फ नेता प्रतिपक्ष के तौर पर विपक्ष के मुखर आवाज बने, पार्टी पर भी मजबूत पकड़ बना ली.


साल 2018 में लालू यादव के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद तेजस्वी निर्विवाद रूप से राष्ट्रीय जनता दल के नेता बने गए, हालांकि परिवार के अंदर से भी वक्त वक्त पर इन्हें चुनौतियां मिलीं. साल 2019 की लोकसभा चुनाव में आरजेडी की करारी हार के बाद लोगों ने तेजस्वी की काबिलियत पर भी सवाल उठाए. लेकिन ये अपने रास्ते से डिगे नहीं.


तेजस्वी ने इस बार की 251 चुनावी रैलियां


तेजस्वी ने 2020 के बिहार चुनाव से पहले नए तेवर और नए जोश के साथ यलगार कर दिया. तेजस्वी तेजस्वी की रैलियों में उमड़ी भीड़ देखकर इनके विरोधी भी इन्हें खारिज नहीं कर पाए. इन्हें जंगलराज का युवराज कहा गया लेकिन पूरी शालीनता से हर वार का जवाब देते रहे.


तेजस्वी यादव ने अकेले ही इस बार 251 चुनावी रैलियां की हैं. इन्होंने एक दिन में 19 तक सभाएं की और अपने पिता लालू यादव ने 17 रैलियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. तेजस्वी की मेहनत अब रंग लाती दिख रही है. 31वें जन्मदिन पर अगर बिहार की जनता ने इन्हें जीत से सेहरा पहनाया तो ना सिर्फ बिहार बल्कि देश की राजनीति में भी नए सितारे का उदय हो जाएगा.


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