बिहार चुनाव: मोकामा सीट पर बीते तीन दशक से बाहुबलियों का राज, इस बार बाहुबली अनंत सिंह मैदान में, जानें इतिहास
मोकामा हमेशा से चर्चित सीट रहा है.क्योंकि पिछले कई दशक से यहां बाहुबलियों का बोलबाला रहा है.फिलहाल यहां के जेडीयू से विधायक बाहुबली अनंत सिंह हैं. जो इस बार जेडीयू छोड़ राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.
पटना: बिहार की राजनीति में मोकामा विधान सभा सीट हमेशा ही खास रही है. जातिगत आधार पर बात करें तो भूमिहार और यादव जाति की गढ़ मानी जाती है. मोकामा की दूसरी पहचान है टाल जिसे दाल का कटोरा भी कहते हैं. टाल, गंगा और किउल नदी के बीच का वो इलाका है जहां सिर्फ खेत ही खेत नजर आते हैं. साल के चार महीने पानी ही पानी रहने वाले इस इलाके में दलहन की पैदावार सबसे ज्यादा होती है.
राजनैतिक दृष्टिकोण से मोकामा सबसे चर्चित सीट
मोकामा विधान सभा क्षेत्र वैसे तो पटना जिले में पड़ता है लेकिन सियासी नक्शे में यह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में आता है. राजनीति में मोकामा हमेशा चर्चित सीट रहा है. क्योंकि पिछले कई दशक से यहां बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. फिलहाल यहां के विधायक बाहुबली अनंत सिंह हैं. जो इस बार राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.
अनंत की अनंत यात्रा
मोकामा टाल के इलाके में छोटे सरकार नाम से मशहूर अनंत सिंह की पहचान इलाके में बाहुबली से लेकर रॉबिनहुड जैसी है. अनंत सिंह ने जेडीयू के टिकट पर तीन बार साल 2005 से लेकर 2010 तक चुनाव लड़ा और जीता.. साल 2015 में नीतीश से मनमुटाव के बाद अनंत निर्दलीय चुनाव लड़े और फिर से जीते. इस बार नीतीश के खास माने जाने वाले जेडीयू के नीरज सिंह को 18,000 वोटों के अंतर से हराया. हालांकि उस चुनाव में जेडीयू को आरजेडी का भी समर्थन मिला था. फिर साल 2015 में अनंत सिंह के खिलाफ आरजेडी ने हीं मोर्चा खोला और अनंत पहुंच गए सलाखों के पीछे. लेकिन 2020 में अब राजद के टिकट पर ही अनंत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. फिलहाल अवैध हथियार रखने के जुर्म में अनंत सिंह जेल में हैं.
भूमिहार-यादव की गढ़ है मोकामा सीट
मोकामा विधान सभा क्षेत्र को भूमिहार और यादव क्षेत्र माना जाता है. हालांकि इनके अलावा यहां कोयरी, कुर्मी और मुस्लिम वोटरों की सी है. अनंत सिंह भूमिहार जाति से हैं. पिछले कई दशकों से मोकामा टाल में भूमिहार जाति का ही वर्चस्व रहा है. जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस इलाके में लगभग 50 फीसदी वोटर भूमिहार जाति के हैं. दूसरे नंबर पर यादवों का वोट बैंक है. इस बार राजद से उम्मीदवारी होने की वजह से माना जा रहा है कि अनंत सिंह को भूमिहार के साथ-साथ यादवों और मुसलमानों का भी वोट मिलेगा. इस सीट पर करीब पौने तीन लाख मतदाता हैं.
तीन दशक से मोकामा पर बाहुबलियों का राज
मोकामा का नाम आते हीं बिहार की राजनैतिक सरगर्मी बढ़ जाती है क्योंकि ये वो इलाका है जहां पिछले तीन दशक से बाहुबलियों का राज है. यानि बाहुबली ही विधायक चुने जाते रहे हैं. इसकी शुरुआत अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप कुमार सिंह से हुई थी जो साल 1990 में जनता दल के टिकट पर चुने गए थे. 1995 में भी दिलीप सिंह ही जीते थे. लेकिन साल 2000 में दूसरे बाहुबली सूरजभान सिंह यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते और विधानसभा पहुंचे. सूरजभान सिंह भी भूमिहार जाति से हीं आते हैं. सूरजभान और अनंत सिंह के परिवारों के बीच दुश्मनी का इतिहास भी पुराना रहा है.
2005 के विधान सभा चुनाव में अनंत सिंह ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. उसी साल फिर उपचुनाव में फिर से अनंत सिंह ने जीत हासिल की. साल 2010 में भी जेडीयू के टिकट पर अनंत सिंह फिर से लड़े और जीत गए. 2015 में अनंत सिंह चौथी बार निर्दलीय लड़े और इसमें भी जीत गए. इस बार 2020 के विधान सभा में बाहुबली अनंत सिंह आरजेडी का दामन थाम फिर से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. इस बार की सबसे खास बात ये है कि जहां बाहुबली खुद आरजेडी के उम्मीदवार हैं वहीं पत्नी को निर्दलीय सीट पर खड़ा कर दिया है. मतलब साफ है कि अगर अंतिम दौर में कोई अड़चन आए तो सीट हाथ से ना जाने पाए. खुद जीतें या पत्नी, लेकिन जीत इनकी झोली में हीं आए.