बेतिया: बिहार में कोरोना संक्रमण का भयावह रूप डराने लगा है. स्थिति ये है कि रोजाना सैकड़ों लोगों की कोरोना की वजह से जान जा रही है. इस बीच अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया है. ताजा मामला बिहार के बेतिया अनुमंडल का है, जहां रविवार को जीएमसीएच के गेट पर कोरोना मरीज ने तड़प-तड़प दम तोड़ दिया. मरीज चार घंटे तक अस्पताल में भर्ती होने का इंतजार करते रहा, लेकिन अस्पतालकर्मियों ने उसे भर्ती नहीं किया नतीजतन गेट पर ही उसकी मौत हो गई.


पिछले एक सप्ताह से था बीमार


मृतक की पहचान भरत महतो के रूप में हुई है, जो खुद एक एम्बुलेंस चालक था. वो मझौलिया थाना क्षेत्र का रहने वाला था और पिछले एक सप्ताह से बीमार था. रविवार को अचानक उसकी तबियत बिगड़ी, जिसके बाद परिजन उसे लेकर मझौलिया पीएचसी पहुंचे. वहां से उसे बेहतर इलाज के लिए जीएमसीएच रेफर कर दिया. लेकिन जीएमसीएच पहुंचने पर पता चला कि अस्पताल में बेड नहीं हैं.


इस वजह से युवक को अस्पताल में प्रवेश नहीं मिला, ऐसे में ऑटो में ही उसकी मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित युवक के परिजनों ने ऑटो को जीएमसीएच के मेन गेट पर लगाकर घंटों रास्ता जाम कर दिया. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची नगर थाना की पुलिस ने किसी तरह परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया और जाम हटाया. 


आखिर क्यूं नहीं मिला बेड?


इस घटना के बाद ये सवाल उठता है कि जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन की ओर से जो लगातार बेड और ऑक्सीजन की कमी नहीं होने का दावा किया जा रहा है, उसकी सच्चाई क्या है? जब व्यवस्थाएं मुकम्मल हैं तो युवक को अस्पताल में प्रवेश क्यों नहीं मिला? अगर जीएमसीएच में बेड नहीं था तो दूसरी जगह मरीज को क्यों भर्ती नहीं कराया गया? 


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