नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़-सी वोटर के एग्जिट पोल में  बिहार में किसी भी गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है. लेकिन आंकड़े इस बात के संकेत दे रहे हैं कि महागठबंधन के अच्छा प्रदर्शन करने का अनुमान है. तमाम चैनलों के एग्जिट पोल में भी इस बात के इशारे मिल रहे हैं कि बिहार में अगली सरकार महागठबंधन के बनाने के ज्यादा आसार हैं.


अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि सत्ताधारी गठबंधन दोबारा सरकार बनाने में नाकाम नजर आती है, जबकि महागठबंधन सरकार बनाने के ज्यादा करीब दिख रही है. एक्सपर्ट की राय भी अलग अलग है. लेकिन इस बात पर सहमति है कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव वोटरों में बेरोजगारी का मुद्दा उठाने में कामयाब रहे और 10 लाख के नौकरी के अपने वादे पर जनता को लुभाने में सफल रहे.


हिंदुस्तान हिंदी के प्रधान संपादक शशि शेखर का कहना है कि चुनाव में बेरोजगारी और बदहाली बड़ा मुद्दा बना और जाति प्रथा की दीवारें भी कुछ टूटी और ये बदलाव महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के लिए फायदेमंद रही.


राजनीतिक एक्सपर्ट बदरी नारायण का कहना है कि 15 साल की सरकार होने की वजह से जनता में नीतीश कुमार के खिलाफ गहरा असंतोष था. इस तरह से बेरोजगारों का ध्रुवीकरण हुआ. बदरी नारायण का कहना है कि प्रसावी मजदूरों के मामले में सरकार की उदासीनता ने भी नीतीश के खिलाफ हवा बनाने में काम किया.


सी-वोटर के अध्यक्ष यशवंत देशमुख का कहना है कि एलजेपी ने भी एनडीए का नुकसान किया है. देशमुख ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि जहां महागठबंधन और जेडीयू के उम्मीदवार आमने-सामने थे वहां महागठबंधन को 39 फीसदी वोट मिल रहे हैं जबकि जेडीयू को 34 फीसदी मत मिल रहे हैं. जबकि जहां बीजेपी और महागठबंधन के बीच टक्कर है वहां बीजेपी को 43 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं जबकि महागठबंधन को 36 फीसदी वोट मिल रहे हैं.


सीधे तौर पर देशमुख का कहना है कि एनडीए के बुरा प्रदर्शन करने में जेडीयू का हाथ ज्यादा है. चुनाव विश्लेषक अभय कुमार दूबे का कहना है कि नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा था और इससे बीजेपी को भी नुकसान सहना पड़ा है.


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