रोहतास: बिहार का 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले रोहतास जिले में अब किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. आधुनिक खेती में उन्हें सफलता भी मिल रही है. वैसे तो रोहतास जिले में आमतौर पर सफेद चावल की खेती होती है, लेकिन जिले के शिवसागर प्रखंड के चमराहा गांव निवासी किसान प्रकाश कुमार ने काले चावल और काले गेहूं की खेती करके लोगों को चौंका दिया है.


पिछले 2 वर्षों से किसान प्रकाश कुमार सफेद चावल के अलावा काले चावल की भी खेती कर रहे हैं. इस संबंध में किसान प्रकाश कुमार बताते हैं कि काले चावल के बारे में उन्हें जानकारी मिली कि यह चावल स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है और डायबिटीज पीड़ित के लिए यह फायदेमंद है क्योंकि यह पूरी तरह से शुगर फ्री चावल है. इसकी पूरी जानकारी इकट्ठा करने के बाद किसान प्रकाश कुमार ने खेती करने की शुरुआत की और पहले ही साल में उन्हें सफलता मिली.



मणिपुर से चावल का बीज लाकर की खेती


किसान प्रकाश कुमार बताते हैं कि वे मणिपुर से 1600 रुपए प्रति किलो चावल का बीज ले कर आएं और खेती करनी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि वे इस खेती में जानकार अपने एक मित्र से संपर्क साध कर मणिपुर गए और वहां से काले चावल का बीज ला आए.


लोगों के बीच जानकारी का है अभाव


किसान प्रकाश कुमार बताते हैं कि इस चावल के लेकर लोगों के बीच जानकारी का अभाव है. यदि डायबिटीज पीड़ित मरीज इस चावल को खाएंगे तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यह चावल काफी महंगी है, इस वजह से भी लोगों का रुझान इस चावल के प्रति नहीं देखा जा रहा है.


उन्होंने यह भी कहा कि काले चावल की खेती को लेकर सरकार की भी कोई पहल नहीं दिखाई दे रही है. यदि काले चावल की खेती को बढ़ावा मिले तो किसानों को अच्छी कमाई भी हो सकती है और इससे लोगों को भी फायदा हो सकता है. उन्होंने बताया कि लोगों में चावल के प्रति जानकारी के अभाव की वजह से उन्हें इस चावल की सही कीमत नहीं मिल पा रही है.


उन्होंने बताया कि भारत के विभिन्न राज्यों में यह चावल 400 से 2400 रुपये प्रति किलो बिकती है, परंतु हमारे जिले में इस चावल की खेती में लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है.