बिहार के किसानों की नई पहल, स्ट्रॉबेरी की खेती कर कमा रहे मुनाफा
किसानों की माने तो इस क्षेत्र में बिहार के किसानों को सरकार के द्वारा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है क्योंकि धान और गेहूं से अच्छी मुनाफा देने वाली फसल हैं स्ट्रॉबेरी
औरंगाबाद: कुटुंबा प्रखंड के ग्राम चिलकी बिगहा के किसान इन दिनों बड़े पैमाने पर एस्ट्रोबेरी की खेती कर रहे हैं.स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान ब्रजकिशोर प्रसाद मेहता ने अपनी खेती प्रणाली के बारे में बताया कि हरियाणा के हिसार जिले में उनका बेटा मजदूरी के लिए गया था, इत्तेफाक से वह स्ट्रॉबेरी की खेतों में मजदूरी करने लगा.समय के साथ-साथ फसल से होने वाले लाभ को समझने के बाद घर आकर उसने इसकी खेती करने की योजना बनाई.
हरियाणा के हिसार से साल 2012 में मात्र 7 पौधे लेकर आए इस मजदूर को इस क्षेत्र में विशेष अनुभव नहीं होने कारण उन्हें शुरु के 2 सालों में उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके कुशल प्रबंधन और उचित रखरखाव से स्ट्रॉबेरी की खेती में आशा और उम्मीद की नई किरण जागी.संघर्ष और परिश्रम के बाद बड़ी सफलता साल 2014 में मिला.
किसान बताते हैं कि जब सफलता मिली तो मार्केटिंग की समस्या उत्पन्न हो गई. लोकल मार्केट नहीं होने के कारण फसल को पटना और कलकत्ता भेजना पड़ा. इसकी खेती के लिए मिट्टी और जलवायु तय नहीं है फिर भी अच्छी उपज लेने के लिए बलुई और दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए ph 5.0 से 6.5 तक मान वाली मिट्टी भी उपयुक्त होती है. यह फसल ठंडी जलवायु वाली फसल है जिसके लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है.
तापमान बढ़ने पर पौधों में नुकसान होता है और उपज प्रभावित हो जाती है. स्ट्रॉबेरी का पौधा काफी नाज़ुक होता है. नमी की मात्रा अधिक हो ऐसी जमीन ज्यादा अनुकूल होती है. यह फसल शीतोष्ण जलवायु वाली फसल है जिसके लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है. तापमान बढ़ने पर पौधों में नुकसान होता है और उपज प्रभावित हो जाती है.
इसकी खेती करने वाले किसान बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी के पौधे लोकल उपलब्ध नहीं होने के कारण मुझे आज भी पुणे महाराष्ट्र से लाना पड़ता है, जो परिवहन के दौरान कुछ पैसे नष्ट हो जाते हैं जिसका नुकसान मुझे उठाना पड़ता है.आज मैं स्ट्रॉबेरी की खेती 1 एकड़ में कर रहा हूं जिसकी लागत 6:30 लाख के आसपास आती है.
फलों के आकार, रंग और सुगंध को बढ़ाने के लिए स्ट्रॉबेरी को पर्याप्त धूप (कम से कम 8 से 10 घंटे) की आवश्यकता होती है. स्ट्रॉबेरी एक बहुत ही नाज़ुक फल होता है. जो की स्वाद में हल्का खट्टा और हल्का मीठा होता है. ये मात्र एक ऐसा फल है, जिसके बीज बाहर की और होते है. स्ट्रॉबेरी अपनी एक अलग ही खुशबू के लिए पहचानी जाती है, जिसका फ्लेवर खासकर आइसक्रीम में इस्तेमाल किया जाता है.
स्ट्रॉबेरी में कई सारे विटामिन और लवण होते है जो स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक होते है, इसमें काफी मात्रा में विटामिन C एवं विटामिन A और K पाया जाता है.इसमें केल्सियम मैग्नीशियम फोलिक एसिड फास्फोरस पोटेशियम होता है. इस केती से प्रेरित होकर अब जिले के 15 किसान इसकी खेती कर रहे हैं. फ़िलहाल 450 रूपए किलो इसे बेच रहे हैं किसान. इन किसानों की माने तो इस क्षेत्र में बिहार के किसानों को सरकार के द्वारा प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है क्योंकि धान और गेहूं से अच्छी मुनाफा देने वाली फसल हैं ये फसल.