सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के बीणा पंचायत के किसान नीलगायों से परेशान हैं. उनकी यह समस्या तीन साल पहले शुरू हुई थी. तब कहीं से भटककर नीलगायों का एक झुंड बीणा पंचायत के बांसबाड़ी में शरण लेने पहुंच गया था. अब हर साल नीलगायों की संख्या और किसानों की परेशानी बढ़ रही है. नीलगायों का झुंड ना सिर्फ फसलों को खा रहा है, बल्कि खलिहान में तैयार धान को भी चट कर जा रहा है.


पूरे दिन खेत में रहते हैं किसान


कई बार नीलगाय गांव में घुसकर लोगों के घर-आंगन में लगी सब्जियों को भी खा जाते हैं. सड़क पर अक्सर नीलगायों का झुंड भटकते रहता है. ऐसे में पूरे दिन किसान अपनी फसलों को नीलगायों से बचाने के लिए खेत में ही रहते हैं. स्थिति यह है कि कभी भी और कहीं भी नीलगायों को देखा जा सकता है.


नीलगायों से परेशान किसान अब कई फसलों की खेती छोड़ चुके हैं. बता दें कि इलाके में बड़े पैमाने पर मकई, मटर, खेसारी, धान, गेहूं, मूंग आदि फसलों की खेती होती थी. लेकिन नीलगाय की समस्या बढ़ते देख किसानों ने फिलहाल मकई, मटर और खेसारी की खेती ही छोड़ दी है. किसानों का कहना है कि नीलगायों का झुंड ना सिर्फ फसलों बल्कि इमारती लकड़ियों मसलन महोगनी, कटहल, सागवान, सखुआ यहां तक कि आम के पौधे भी खा जाता है.


अब तक नहीं की गई कार्रवाई


किसानों के अनुसार इलाके में लगभग एक सौ से अधिक नीलगाय हैं और हर साल इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है. किसानों का कहना है कि यही हाल रहा तो जल्द ही अन्य फसलों की खेती भी छोड़ देनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों के अलावा डीएम को भी आवेदन दिया गया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. वन विभाग के अधिकारी तो दो बार सूचना देकर नहीं पहुंचे.


किसान सौरभ झा, शंभूनाथ मिश्रा, प्रमोद ठाकुर, तपेश्वर मिश्रा, रंजीत सिंह, कामेश्वर मिश्रा, अतुल मिश्रा, शंकरनाथ मिश्रा आदि का कहना है कि इस इलाके में लगभग आठ हजार बीघा में खेती होती है. नीलगाय हर साल 25 से 30 बीघा फसलों को बर्बाद कर देते हैं. उनकी समस्या को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और प्रतिबंध होने के कारण वह लोग नीलगाय को मार भी नहीं सकते हैं.