Bihar Fertilizer Shortage: क्या बिहार में खाद यूरिया की चल रही कालाबाजारी, किसान क्यों हैं परेशान? देखें ग्राउंड रिपोर्ट
Bihar News: मंगलवार को एबीपी की टीम ने बिहटा, पालीगंज समेत कई जगहों पर किसानों से बातचीत की है. वहां के हालात के बारे में जाना है.
पटना: बिहार में खाद यूरिया की किल्लत है. किसान हताश परेशान हैं. गेहूं का सीजन चल रहा है और भी कई रबी फसलें लगी हैं. सिंचाई होने के बाद यूरिया खाद की जरूरत पड़ती है. किसान खेतों में पटवन कर चुके हैं और उन्हें यूरिया नहीं मिल रही. किसानों को इंतजार है कि कब यूरिया मिले और फसलों में इसका छिड़काव हो. केंद्र सरकार ने खाद यूरिया की दुकानों का नाम बदलकर प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र कर दिया है. किसान इसके चक्कर लगा रहे हैं लेकिन यूरिया नहीं मिल रही.
किसानों में दिखी मायूसी
मंगलवार को एबीपी की टीम बिहटा के किसान समृद्धि केंद्र पहुंची. वहां भारी संख्या में किसान आए थे, लेकिन मायूस दिखे. किसानों ने कहा कि पिछले 10–15 दिनों से हम लोग यहां आ रहे हैं. घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन खाद यूरिया नहीं मिल रही है. हमारी गेहूं का फसल बर्बाद हो रही हैं. यूरिया का छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं. पटवन कर चुके हैं. हमारा जीवन तबाह हो गया है. सरकार हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है. बिहटा के किसान समृद्धि केंद्र के मालिक ने कहा कि यूरिया हम लोगों को कई दिनों से नहीं मिल रही है. हम किसानों को नहीं दे पा रहे हैं. अगर रहता है तो 266 रुपये में 45 किलो दे देते हैं. बिहार में काफी कम खाद यूरिया के पहुंचने के कारण ये किल्लत है.
किसानों ने नीतीश कुमार पर बोला हमला
बिहटा के एक खेत में किसानों से बात की गई. किसानों ने सीएम नीतीश पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार शराबबंदी, जातीय जनगणना में व्यस्त है. हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है. गेहूं की फसलें बर्बाद हो गई. सरकार नींद में है. किसानों ने गेहूं की बर्बाद फसलें दिखाई. खाद यूरिया का छिड़काव नहीं होने के कारण फसलें बर्बाद हो रही है. पटवन कर चुके हैं. यूरिया की किल्लत को लेकर खेत में किसान नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे.
लाइन में लगे रहते किसान
बिहटा के बाद एबीपी की टीम बिक्रम पहुंची. बिक्रम के एक यूरिया केंद्र पर लगे एक बोर्ड पर लिखा था कि यहां यूरिया नहीं है. (निल) लिखा था. किसान यहां निराश होकर खड़े थे. किसानों ने कहा कि कई दिनों से खाद यूरिया नहीं मिल रही है. रोज यहां आ रहे, लेकिन खाली हाथ लौट रहे. खाद यूरिया का छिड़काव नहीं होने के कारण गेहूं फसल चौपट है. हम लोगों की कोई मदद नहीं कर रहा है. बहुत मेहनत से हम लोग खेत में काम करते हैं. पटवन का काम कर चुके हैं. कालाबाजारी की जा रही है. केंद्र के मालिक ने कहा कि यूरिया हम लोगों के पास नहीं उपलब्ध है. इसलिए नहीं बेच पा रहे हैं. कालाबाजारी नहीं हो रही है. एक से दो दिनों में आने की संभावना है.
कालाबाजारी का आरोप
बिक्रम में काफी पड़ताल करने के बाद एक खेत ऐसा मिला जहां एक किसान अपने खेत में गेहूं की फसल पर खाद यूरिया का छिड़काव करवा रहा था. उसने कहा कि बहुत मुश्किल से एक बोरा लाए हैं. 266 रुपये का 45 किलो की यूरिया का एक बोरा 450 रुपये में मिला है. कालाबाजारी हो रही है. हम लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है. कई केंद्रों के चक्कर लगाए हैं तब भी खाद यूरिया नहीं मिला था. अब ब्लैक में खरीद के लाए हैं. इसी खेत में एक किसान ने कहा कि हमको तो ज्यादा दाम पर भी नहीं मिल रहा है. मार्केट में खाद यूरिया की भारी कमी है.
पालीगंज में किसान परेशान
बिक्रम के बाद एबीपी की टीम पालीगंज पहुंची. यहां किसान समृद्धि केंद्र पर खाद यूरिया नहीं है. इस केंद्र के मालिक ने कहा की दो साल से यूरिया की सप्लाई नहीं है. इसलिए हम लोगों के पास उपलब्ध नहीं है. यहां एक किसान ने कहा कि यूरिया यहां क्या कहीं भी नहीं मिल रहा है. हम दो महीने से भटक रहे हैं. मेरी फसल बर्बाद हो गई है. सरकार को हम किसानों से कोई मतलब नहीं है. पालीगंज के एक खेत में में महिला किसान और पुरुष किसान खेती में व्यस्त थे. किसानों ने कहा कि गेहूं की फसल पर यूरिया के छिड़काव के लिए हर दिन खाद यूरिया खोज रहे, लेकिन कहीं भी बिक्री नहीं हो रही है. कालाबाजारी की जा रही है. 266 रुपये के खाद यूरिया के बोरे 450-500 में बेचे जा रहे हैं. हम गरीब किसान कहां से ज्यादा कीमत दे पाएंगे. गेहूं की फसलें बर्बाद हो रही. पटवन कर चुके हैं.
कृषि पदाधिकारी ने कही ये बात
खाद यूरिया संकट पर पालीगंज के कृषि पदाधिकारी उमाशंकर चौधरी से बातचीत की गई. उन्होंने कहा कि सात से आठ दिनों से खाद यूरिया की आपूर्ति नहीं हो रही है. इसलिए किसानों को नहीं मिल पा रही. एक से दो दिन कई बोरे खाद यूरिया के आने वाले हैं. इसके बाद किसानों को मिलेगी. कालाबाजारी नहीं की जा रही है. हम लोग हर संभव मदद किसानों की कर रहे हैं.
बता दें बिहार कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि भारत सरकार ने अक्टूबर और नवंबर के महीने में 60 प्रतिशत ही यूरिया की आपूर्ति की है. दिसंबर में 97 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की गई थी. वहीं जनवरी में अभी तक 43 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की गई है. अक्टूबर और नवंबर में जो कम आपूर्ति हुई, उसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा है. अभी आपूर्ति ठीक है. अक्टूबर 2022 में बिहार को 210000 मेट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी जबकि 126670 मेट्रिक टन यूरिया ही मिली. नवंबर में 250000 मेट्रिक टन की जरूरत थी, लेकिन 150485 मेट्रिक टन मिली. दिसंबर में 330000 मेट्रिक टन की जरूरत थी और 319088 मेट्रिक टन यूरिया मिली. जनवरी में 240000 मेट्रिक टन की जरूरत दी गई जिसमें अभी तक 103862 मेट्रिक टन खाद मिली है.
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