गोपालगंज: नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से गंडक नदी उफान पर है. नदी के तेजी से बढ़ते जलस्तर से कई गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं. सड़क मार्ग से मुख्यालय का संपर्क टूटने के बाद नाव से सुरक्षित स्थलों के लिए पलायन जारी है. जिले में बाढ़ प्रभावित छह प्रखंडों के करीब 42 नीचले गांवों में तेजी से बाढ़ का पानी फैल रहा है. जिले का कुचायकोट, मांझा, बरौली, सिधवलिया, बैकुंठपुर व सदर प्रखंड का दियारा इलाका बाढ़ प्रभावित माना जाता है.
शनिवार की शाम से बढ़ रहे नदी के जलस्तर के कारण कई गांव का संपर्क टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव चलाने के अलावा प्रभावित गांव को एसडीआरएफ के हवाले किया गया है. उधर, कुचायकोट के कालामटिहनिया के छह वार्डों में पानी घरों में घुस गया है. सबसे अधिक परेशानी सदर प्रखंड के मेहंदिया, मशानथाना, खाप मकसूदपुर, जगीरी टोला, मलाही टोला, रामपुर, कटघरवा आदि गांव के लोगों की है.
यहां तीन से चार फीट पानी गांव की सड़कों पर बह रहा है, जिससे लोग घर से निकलकर ऊंचे स्थलों पर पलायन करने को मजबूर हैं. राहत की बात है कि सदर प्रखंड का सारण तटबंध और छरकी सुरक्षित है. लेकिन सदर प्रखंड, मांझा और बरौली समेत कई जगहों पर रिंग बांध पर पानी का दबाव बढ़ गया है. इसलिए लोगों की नींद भी उड़ी हुई है. कुचायकोट के कालामटिहनिया और पतहरा में गंडक नदी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है. जल संसाधन विभाग के अनुसार डुमरिया में 1.5 मीटर और कालामटिहनिया 1.38 मीटर गंडक नदी लाल निशान से ऊपर बह रही है.
बाढ़ से प्रभावित होने वाले इन पंचायतों में अलर्ट -
कुचायकोट प्रखंड : काला मटिहनियां, दुर्ग मटिहनियां, सलेहपुर, टोला सिपाया और रामपुर माधो.
गोपालगंज प्रखंड : कटघरवा, विशुनपुर पूर्वी, विशनुपुर पश्चिमी, बरईपट्टी, जादोपुर दु:खहरण, रामपुर टेंगराही और जगीरी टोला.
मांझा प्रखंड : निमुईया, भैंसही, गौसिया, पुरैना, मधु सरेया व ख्वाजेपुर.
बरौली प्रखंड : सोनबरसा, मोहम्मदपुर पकड़िया, देवापुर, हसनपुर, रामपुर, सलेमपुर पूर्वी, सलेमपुर पश्चिमी, बतरदेह व सरफरा.
सिधवलिया प्रखंड : अमरपुरा, डुमरिया व काशी टेंगराही.
बैकुंठपुर प्रखंड : परसौनी, बासघाट मंसुरिया, उसरी, गम्हारी, फैजुल्लाहपुर, प्यारेपुर, बखरी व बंगरा.
शनिवार को हर घंटे बढ़ा डिस्चार्ज
सुबह 08 बजे : 2.12लाख क्यूसेक
सुबह 09 बजे : 2.15 लाख क्यूसेक
सुबह 10 बजे : 2.21 लाख क्यूसेक
सुबह 11 बजे : 2.33 लाख क्यूसेक
दोपहर 12 बजे : 2.51 लाख क्यूसेक
दोपहर 01 बजे : 2.64 लाख क्यूसेक
दोपहर 02 बजे : 2.73 लाख क्यूसेक
दोपहर 03 बजे : 2.86 लाख क्यूसेक
शाम के 04 बजे : 0.94 लाख क्यूसेक
सुबह से बढ़ता गया जलस्तर
शनिवार की सुबह से गंडक नदी का जलस्तर बढ़ता गया. दोपहर बाद नदी का जलस्तर और तेजी से बढ़ने लगा. शाम को यह आंकड़ा तीन लाख क्यूसेक के करीब पहुंच गया. प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो तीन लाख क्यूसेक से ऊपर गंडक नदी का जल डिस्चार्ज होने पर नदी उफान पर आ जाती है. ऐसे में बांध पर भी दबाव बढ़ जाता है.
मेहंदिया में ढाई सौ परिवार पानी से घिरा
गोपालगंज के सदर प्रखंड के मेहंदिया गांव में सारण तटबंध के अंदर बसा करीब ढाई सौ परिवार बाढ़ के पानी से घिर गया है. चारों तरफ पानी से घर घिरा हुआ है. यहां रहने वाले संजय सिंह, सीतारात, पनपतिया देवी, सीमा देवी, पूनम देवी ने बताया कि तीन साल में पहली बार समय से पहले बाढ़ का पानी आ गया. गांव से जादोपुर के जगीरी टोला तक जाने के लिए सड़क संपर्क टूट चुका है. नाव के जरिये ही लोग आते-जाते हैं.
रामनगर में डूबे कई घर, पलायन हुआ शुरू
सदर प्रखंड के रामनगर में कई घर डूब चुके चुके हैं. गांव में पांच से सात फुट पानी बहने के कारण दियारा के लोगों ने घर को खाली कर दिया है. यहां प्लस-टू स्कूल, मध्य विद्यालय, आंगनबाड़ी, मदरसा-मस्जिद व मंदिर के अलावा सरकारी मकानों में एक मंजिला छत के करीब पानी पहुंच गया है. आसपास के लोग भाड़े की नाव के सहारे ऊंचे स्थलों पर जाने को मजबूर हैं.
चारों ओर पानी ही पानी
सारण तटबंध से उतरते ही सदर प्रखंड, मांझा व बरौली प्रखंड के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देता है. घरों में पानी घुसने और सड़कों पर तेज धार बहने से लोगों का आवागमन का रास्ता बंद हो गया है. सदर प्रखंड के कटघरवा, जगीरी टोला, रामनगर, मेहंदिया के ग्रामीणों ने माना कि यूं तो हर वर्ष बाढ़ आती है, लेकिन इस बार मुश्किल हालात पैदा हो गए हैं. जून माह के बाद जुलाई के पहले सप्ताह में ही बाढ़ का पानी बेकाबू होने लगा है.
बारिश से बचने को चाहिए पॉलीथिन
सदर प्रखंड के मेहंदिया, जगीरी टोला व कटघरवा गांव के बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि बारिश में खुले आसमान के नीचे रहना पड़ रहा है. घर-द्वार डूबने के बाद अधिकांश लोगों ने अपने-अपने छतों पर शरण लिया है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि बारिश में बचाव के लिए प्रशासन की ओर से पॉलीथिन सीट का वितरण कर देना चाहिए. अब तक राहत सामग्री का भी वितरण किसी भी प्रखंड में नहीं किया गया है, जिससे परेशानी बढ़ गयी है.
बाढ़ में मवेशियों को लेकर बढ़ी परेशानी
दियारा क्षेत्र में बाढ़ के पानी से मवेशियों को खिलाने, बांधने और उन्हें बचाये रखने की समस्या बढ़ गयी है. गाय, भैंस, बैल, बकरी, भेड़ आदि पशुओं को कहां बांधे, क्या खिलाये और कैसे बचा कर रखें? इस समस्या से किसान परेशान हैं. उधर, किसान पानी से घिरे घरों से मवेशियों को लाकर सारण तटबंध पर शरण ले रहे हैं. यहां किसानों को सांप और बिच्छुओं का भय सता रहा है.
तटबंध पर शरण लिये लोगों पर आफत
हजारों की संख्या में लोग बांध पर शरण ले चुके हैं. मगर यहां न पेयजल की कोई सुविधा है, न ही रात में रोशनी की. कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच मेडिकल सुविधा भी नदारद है. बताया गया कि बहरामपुर में तकरीबन पचास घर, पकहा में करीब डेढ़ सौ घर, शीतलपुर में तीस घरों सहित अन्य गांव के लोगों ने बांध पर शरण लिया है, जिन्हें सरकारी तौर पर किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलने से शिकायत है.
तटबंध सुरक्षित, नियंत्रण में बाढ़ की स्थिति
डीएम नवल किशोर चौधरी ने कहा कि सारण तटबंध समेत सभी छरकी सुरक्षित हैं. बारिश की वजह से कहीं-कहीं से रेनकट की सूचना आ रही है, जिसे दुरुस्त किया जा रहा है. अभियंता प्रमुख और चीफ इंजीनियर भी तटबंध पर लगातार कैंप कर रहे हैं. जिला प्रशासन के अधिकारियों को बाढ़ ग्रस्त इलाके में तैनात किया गया है.
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