Bihar Flood Live Updates: बिहार में बाढ़ का कहर, मोतिहारी के सुगौली थाने में घुसा पानी, गोपालगंज में 28 गांव और टोले डूबे
Flood Live Updates: रविवार को छोटी नदियों में जलस्तर में कमी आई है लेकिन कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. करीब 16 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.
बिहार में बाढ़ के हालात के बीच आपदा प्रबंधन मंत्री संतोष सुमन ने कहा है कि चार जिलों में पांच जगहों पर तटबंध टूटे हैं. स्थिति काफी भयावह हो चुकी है. हम लोग पूरी तरह तत्पर हैं.
बिहार में बाढ़ को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी निगरानी में एक-एक चीज को देख रहे हैं. राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों बिहार में बाढ़ को देखते हुए सजग है. जो भी आवश्यक कदम उठाने पड़ेंगे वो उठाए जाएंगे. आरजेडी को लेकर कहा कि वो क्या आरोप लगाएंगे जिनके जमाने में बाढ़ आती थी तो घोटाले होते थे. वो लोग क्या बोलेंगे?
मोतिहारी में भी बाढ़ जैसे हालात हैं. सुगौली थाना परिसर में पानी भर गया है. अधिकारियों के क्वार्टर भी जलमग्न हो गए हैं. सिकरहना नदी उफान पर है. जिले में कई जगहों पर सड़कों पर पानी बह रहा है. यह क्षेत्र नेपाल से सटा हुआ है. ऐसे में नेपाल में हुई बारिश के चलते जो पानी आ रहा है उससे यहां की नदियों का जलस्तर बढ़ा है.
बिहार के वो इलाके जो बाढ़ से प्रभावित हैं उन क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम बाढ़ प्रभावित जिलों में 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी है. प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर उनके लिए रहने, भोजन और चिकित्सा का पूरा इंतजाम किया जा रहा है.
नेपाल में भारी बारिश के चलते वाल्मीकिनगर बैराज से गंडक नदी में साढ़े पांच लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किए जाने के बाद गोपालगंज के कई गांव बाढ़ से घिर गए हैं. सदर प्रखंड के राजवाही, मलाही टोला, जगिरी टोला और मेहंदिया गांव डूब गए हैं. जल संसाधन विभाग ने आज गोपालगंज के लिए महत्वपूर्ण दिन बताया है क्योंकि गंडक के जलस्तर में वृद्धि की संभावना है. वहीं कुचायकोट, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर के इलाके में बाढ़ का पानी तेजी से प्रवेश कर रहा है. कई जगहों पर तटबंध पर दबाव है. डीएम मोहम्मद मकसूद आलम ने सभी तटबंध को सुरक्षित बताया है.
सोमवार की सुबह जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार पटना में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर है. पटना के गांधी घाट पर रविवार की सुबह 6 बजे गंगा का जलस्तर 48.48 मीटर था जबकि सोमवार की सुबह 6 बजे के रिकॉर्ड के अनुसार यह 48.77 मीटर हो चुका था. खतरे का लेवल 48.60 है. गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से पटना में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है.
बिहार में बाढ़ का असर दरभंगा में भी देखने को मिल रहा है. दरभंगा में कोसी का रौद्र रूप दिखने लगा है. खबर है कि किरतपुर के भूभौल में कोसी नदी का तटबंध टूट गया है. किरतपुर प्रखंड के साथ उधर घनश्यामपुर प्रखंड में भी तबाही की स्थिति है. करीब एक दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं.
बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रविवार को को बताया, "जल संसाधन विभाग की टीम तटबंधों की 24 घंटे निगरानी कर रही है ताकि कटाव या खतरे का पता चलते ही त्वरित कार्रवाई की जा सके. विभाग के तीन अधीक्षण अभियंता, 17 कार्यपालक अभियंता, 25 सहायक अभियंता और 45 कनीय अभियंता 24 घंटे काम कर रहे हैं. वे हमेशा सतर्क रहते हैं. घबराने की कोई बात नहीं है."
नेपाल के तराई क्षेत्रों में हुई बारिश से मुजफ्फरपुर की नदियों में जलस्तर बढ़ गया है. कई इलाकों में पानी घुस गया है. बाढ़ के जैसे हालात हैं. कटरा स्थित बकुची पावर ग्रिड परिसर में पानी घुस गया है.
सुपौल में कोसी के बढ़ते जलस्तर में सोमवार की सुबह कमी आई है. कोसी बैराज से निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज लगातार कम हो रहा है. इससे प्रभावित क्षेत्रों में पानी धीरे-धीरे घटने लगा है. हालांकि जिले के छह प्रखंड बसंतपुर, भपटियाही, मरौना, निर्मली, किसनपुर और सुपौल की करीब 25 से 30 पंचायतें अब भी बाढ़ की चपेट में हैं. पानी कम होने से कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन नदी के कटाव का खतरा अब भी बना हुआ है.
सुपौल के नीचले इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है. लोग ऊंचे स्थानों पर पलायन को मजबूर हैं. प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. लोगों का कहना है कि प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है, भूखे प्यासे हैं. उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. राहत शिविर में नहीं ले जाया गया.
बिहार के कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं. प्रभावित जिलों की बात करें तो अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सीवान, मधेपुरा, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा और सारण आदि शामिल हैं. राहत बचाव के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगी हैं.
बैकग्राउंड
Bihar Flood News: बिहार में बाढ़ के चलते कई जिलों से तबाही वाली तस्वीर सामने आई है. रविवार को भी बाढ़ की स्थिति चिंताजनक बनी रही. कई स्थानों पर नदियों के तटबंध टूट गए हैं और वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाढ़ का पानी घुस गया है. इसका असर भारत-नेपाल सीमा से लगते जिलों पर सबसे अधिक पड़ा है.
सीतामढ़ी जिले के मधकौल गांव में बागमती नदी के तटबंध में रविवार (29 सितंबर) को जहां दरार की खबर आई, वहीं पश्चिमी चंपारण में गंडक नदी पर पानी के अत्यधिक दबाव के कारण बगहा-1 प्रखंड में नदी के बाएं किनारे पर स्थित तटबंध शाम 4.50 बजे क्षतिग्रस्त हो गया. इससे बाढ़ का पानी पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में भी घुस गया. इससे वहां के वन्यजीवों को खतरा उत्पन्न हो गया है.
बगहा के कार्यपालक अभियंता को किया गया निलंबित
राज्य जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) की ओर से रविवार को बताया गया कि बागमती नदी के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि और पानी के बढ़ते दबाव से सीतामढ़ी जिले के बेलसंड, परसौनी, बरगैनिया और रसलपुर प्रखंडों तथा शिवहर जिले के पिपराही, पुरनहिया और शिवहर प्रखंडों में बागमती नदी के बाएं और दाएं तटबंध पर कई जगह रिसाव की सूचना के बाद तत्काल दुरूस्त किया गया है. तटबंध क्षतिग्रस्त होने, कार्य में लापरवाही बरतने एवं जिला प्रशासन से उचित समन्वय न रखने के आरोप में बगहा के कार्यपालक अभियंता (बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल) निशिकांत कुमार को निलंबित कर दिया.
राज्य जल संसाधन विभाग की ओर से कहा गया है कि बिहार की अन्य नदियों में भी इस साल का अधिकतम जलस्तर दर्ज किया गया. कमला बलान नदी के झंझारपुर मापक स्थल पर जलस्तर 52.10 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 2.10 मीटर अधिक है. ललबेकिया नदी के गोवाबाड़ी मापक स्थल पर जलस्तर 72.70 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से 1.55 मीटर अधिक है.
रविवारा को जारी विभाग के बयान के मुताबिक, "महानंदा नदी के तैयबपुर एवं ढ़ेगराघाट मापक स्थलों पर क्रमशः 66.81 मीटर एवं 37.22 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान से क्रमश: 0.81 मीटर एवं 1.57 मीटर अधिक है. कमला बलान, ललबेकिया एवं महानंदा नदी के तटबंध एवं संरचनाएं सुरक्षित है."
अभी तक किसी की मौत की खबर नहीं
बताया गया कि रविवार को छोटी नदियों में जलस्तर में कमी आई है लेकिन कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है और करीब 16 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. अभी तक किसी की मौत की खबर नहीं है. कोसी नदी पर बने वीरपुर बैराज से सुबह पांच बजे तक कुल 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 साल में सबसे अधिक है.
(इनपुट: भाषा से)
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