पटना: बिहार में इस बार मॉनसून के शुरुआत में ही अत्यधिक हुई है. लगातार हो रही बारिश की वजह से नदियां उफान पर हैं. खासकर उत्तर बिहार के कई गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. गंडक नदी के साथ महानंदा, कमला और बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि के बाद निचले इलाके लोग सहम गए हैं. संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरू कर दिया है. 


बिहार के जल संसाधन विभाग के अधिकारी के अनुसार, " महानंदा, कमला और बागमती नदियां उफान पर हैं. इन नदियों के नेपाल जलग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा अचानक बढ़ गया है. शुक्रवार को हुई मूसलाधार बारिश के बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई है. वहीं, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि शनिवार को भी भारी बारिश होगी, जिससे बाढ़ का खतरा और ज्यादा गहराने की संभावना है."


14 जिलों के लिए अलर्ट


जल संसाधन विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी बुलेटिन में राज्य के 14 जिलों में माध्यम से अत्यधिक वर्षा की संभावना जताई गई है. जबकि दक्षिण बिहार के किसी भी जिले में बारिश की कोई संभावना नहीं है. गौरतलब है कि इस बार उत्तर बिहार के पूर्वी जिलों में अनुपात के अनुसार जून महीने में कम वर्षा हुई है. जबकि पश्चिमी जिलों में अनुमान से अधिक वर्षा हुई है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.


किसानों की बढ़ी परेशानी


गंडक, भपसा, कोसी, हरहा, मनोर, मसान, पंडई, कारहटवा, ओरिया, गाद, खरहटवा मनिहारी, हरबोरा, सिकरहना और दोहरम नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भारी बारिश होने की वजह से बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के 250 गांवों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बाढ़ ने धान की खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ा दी है. बाढ़ की वजह से धान के बिचड़े बह गए हैं. ऐसे में उन्हें डर है कि केवल 40-45 प्रतिशत जमीन पर ही रोपनी हो पाएगी.


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