सीतामढ़ीः जिले के सुप्पी प्रखंड में बागमती नदी का पानी उफान पर है. कई गांवों में नदी का पानी घुस गया है. करीब आधा दर्जन गांव प्रभावित हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर लगातार बारिश और नेपाल से आने वाले पानी के कारण बागमती नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है. नेपाल बॉर्डर पर बसे लोगों को डर सताने लगा है.


बढ़ते पानी की वजह से लोग नाव और केले के थम के सहारे पानी पार कर रहे हैं. गांव से किसी को बाहर जाना हो या किसी मरीज को इलाज कराने के लिए लेकर जाना हो तो केला के थम के सहारे ही ले जाना लोगों की मजबूरी है. शनिवार को भी एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली.


बाढ़ प्रभावित नरहा ढाप टोला के आठ से नौ लोग एक बुजुर्ग मरीज को केले के थम (पेड़) से बने नाव से पानी में डूबी सड़क को पार करा रहे थे. बाद में फिर पीठ पर मरीज को लेकर गए. लोगों ने जिला प्रशासन व स्थानीय विधायक से नाव उपलब्ध कराने की भी मांग की.


दिन में बेचैन और रात में लोग कर रहे रतजगा


जमला गांव से नदी कुछ ही दूरी पर है. नदी में पानी की गर्जना सुन लोग दहशत में हैं. संभावित क्षति और खतरे को भांप लोग दिन में बेचैन तो रहते ही है, रात भी जाग कर काट रहे हैं. वे मान कर चल रहे हैं कि बाढ़ की क्षति उन्हें झेलनी पड़ेगी. अबतक प्रशासन, अभियंता या जनप्रतिनिधि ने इस गांव की सुध नहीं ली है.


इस तरह बढ़ा बांध पर खतरा


बताया जाता है कि नेपाल के ब्रह्मपुरी गांव को बाढ़ से बचाने के लिए रिंग बांध बनाया गया है. इसके लिए जाल में बोल्डर डालकर बांध के किनारे रखा गया है. इसी कारण नदी का पानी जमला गांव पर अधिक चोट कर रहा है. गांव के समीप पश्चिम से नदी द्वारा कटाव किया जा रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि सबसे अधिक खतरा जमला के वार्ड नंबर-1 पर है. रातभर लोग जाग कर रहते हैं. अनहोनी की आशंका बनी रहती है. कोई देखने वाला नहीं है.


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