Ajay Alok Join BJP: CM नीतीश को लगा झटका, JDU नेता अजय आलोक बीजेपी में शामिल, दिल्ली में ली सदस्यता
Bihar Politics: अजय आलोक जनता दल यूनाइटेड में काफी लंबे समय तक प्रवक्ता के रूप में काम कर चुके हैं. कई दिनों से अजय आलोक नीतीश कुमार के खिलाफ ट्वीट भी कर रहे थे.
पटना: जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक (Ajay Alok) ने शुक्रवार (28 अप्रैल) को बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया. सीएम नीतीश कुमार को अजय आलोक ने झटका दिया है. दिल्ली में उन्हें केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई है. इससे पहले अजय आलोक जनता दल यूनाइटेड में काफी लंबे समय तक प्रवक्ता के रूप में काम कर चुके हैं. वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के करीबी नेताओं में माने जाते थे. प्रवक्ता के रूप में अजय आलोक विरोधियों पर तीखा हमला करते थे.
लालू प्रसाद यादव की विचारधारा के विरोधी रहे अजय आलोक आरजेडी सुप्रीमो और उनके परिवार पर वे अपने बयानों से अक्सर तीखा हमला करते रहे हैं. 2022 के अगस्त महीने में नीतीश कुमार जब महागठबंधन में शामिल हो गए तो उसके बाद से अजय आलोक नाराज चल रहे थे. पार्टी ने उन्हें आरसीपी सिंह के करीबी होने का हवाला देते हुए इस्तीफा मांगा था. उसी वक्त अजय आलोक ने जेडीयू से इस्तीफा भी दे दिया था.
जब नीतीश कुमार को कहा था 'नाश कुमार'
जेडीयू से इस्तीफा देने के बाद अजय आलोक लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेर भी रहे थे. उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए 'नाश कुमार' तक कह दिया था. उन्होंने कई ट्वीट भी किए हैं. पिछले साल अगस्त में ही अजय आलोक ने अपने ट्वीट में लिखा था- "पिछले 12 साल से PM बनने की आशा में बिहार का सत्यानाश करने वाले ये महान व्यक्ति नीतीश कुमार नहीं बल्कि 'नाश' कुमार हैं. कबीरदास ने तो अपनी डाल काटी थी ये आदमी अपनी छाया को काटने चला हैं. सोचिए आप लोग? आपका क्या होगा?"
एक दूसरे ट्वीट में अजय आलोक ने लिखा था- "पलटने का मौसम आ गया - बिहार की सत्ता में बने रहना इनका 1-1 दिन बिहार को 1-1 साल पीछे ले जा रहा है." बता दें कि अजय आलोक जब जेडीयू में थे तो नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बहुत करीबी थे. पार्टी में वे संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रहे थे.
अजय आलोक ने कभी विधायक, एमएलसी का टिकट नहीं लिया था, लेकिन पार्टी में पकड़ मजबूत थी. यही कारण रहा कि 2014 में जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हुए और अलग चुनाव लड़ रहे थे तो पटना साहिब लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से उनके पिता प्रख्यात डॉक्टर गोपाल प्रसाद सिन्हा को टिकट दिया गया था. हालांकि बीजेपी से शत्रुघ्न सिन्हा से उनका मुकाबला था और वे चुनाव हार गए थे.
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