अररिया: तस्लीमुद्दीन के पुत्र और पूर्व आरजेडी सांसद सरफराज आलम (Sarfaraj Alam) को बीते मंगलवार को ही न्यायिक हिरासत में भेजा गया. पूर्व सांसद और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रहे सरफराज आलम को अररिया के स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा है. अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम सह स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट के जज ने मंगलवार को 26 साल पुराने अपहरण के मामले की सुनवाई की थी.


बीते बुधवार को मामले की सुनवाई हुई, लेकिन न्यायालय ने तुरंत बेल देने से इनकार कर दिया. अब 9 जनवरी को सुनवाई निर्धारित की गई है. इतना ही नहीं कोर्ट ने एसपी से पूर्व सांसद के विरुद्ध चल रहे तमाम लंबित मामले की जानकारी भी मांगी है. पूर्व सांसद पर 26 साल से मामला चल रहा है और लंबे समय से वारंट भी निर्गत है. कोर्ट से उन्हें बेल भी नहीं मिला था. इसके बाद भी पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया इसलिए पुलिसिया कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहा है.


1996 में दर्ज हुआ था अपहरण का केस


दरअसल पूर्व सांसद सरफराज आलम 26 साल पुराने अपहरण के एक मामले में न्यायालय में उपस्थित हुए थे. सरफराज आलम बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज आलम के बड़े भाई हैं, लेकिन दोनों के बीच राजनीतिक विवाद चल रहा है. सरफराज के खिलाफ 1996 में अपहरण का एक मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में सरफराज आलम 26 साल से फरार चल रहे थे. उनके खिलाफ कुर्की जब्ती का भी आदेश जारी हुआ था.


थाने में दर्ज कराई गई थी ये शिकायत


भरगामा प्रखंड के सिरसिया कला के रहने वाले शंकर कुमार झा उर्फ सकल झा ने सरफराज आलम सहित चार-पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण करने का मामला अररिया थाना में कांड संख्या 175/ 96 के तहत दर्ज कराया था. सकल झा ने कहा था कि 15 मई 1996 को वे पथ प्रमंडल अररिया के इंजीनियर नवीन कुमार सिंह के अररिया एडीबी चौक स्थित आवास पर सोए हुए थे क्योंकि नवीन कुमार सिंह पूर्णिया गए थे. उनकी पत्नी व बच्चे अकेले थे इसलिए वे उनके घर में सोए थे.


इसी दौरान सरफराज आलम चार-पांच लोगों के साथ बाइक से आ धमके और गाली गलौज, मारपीट करते हुए उन्हें मोटरसाइकिल पर बिठाकर उनका अपहरण कर लिया. इसके बाद मोटरसाइकिल पर बैठा कर चरघरिया नदी के पास ले गए जहां उन्हें कोई मार देने तो कोई छोड़ देने की बात कर रहा था. बाद में उसे मोटरसाइकिल पर बिठाकर टाउन हॉल के पास छोड़ दिया गया था. 26 साल पुराने अपहरण के मामले के साथ-साथ चार अन्य मामले भी अलग-अलग थाने में दर्ज हैं. यह मामला भी न्यायालय में लंबित है.


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