गोपालगंज: नेपाल के तराई इलाकों और उत्तर बिहार में लगातार हो रही बारिश की वजह से गंडक नदी उफान पर है. कई जगह नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में गंडक नदी की वजह आने वाली बाढ़ की तबाही को रोकने के लिए गोपालगंज के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने बुधवार की शाम अहम फैसला लिया है. गोपालगंज और पूर्वी चंपारण को जोड़ने के लिए सत्तरघाट पर बने सेतु पर परिचालन रोक दिया है. साथ ही सेतु के दोनों तरफ एप्रोच पथ पर तीन जगह 810 मीटर की लंबाई काटने का निर्देश दिया गया है.
सत्तरघाट पुल की वजह से आई थी बाढ़
डीएम ने जल संसाधन विभाग के अभियंताओं और एनआईटी, पटना के विशेषज्ञ दल की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए सत्तरघाट सेतु को बंद करने का आदेश दिया. मालूम हो कि एनआइटी पटना और जल संसाधन विभाग की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया कि सत्तरघाट पुल की वजह से ही पिछले साल गोपालगंज में बाढ़ आई थी और सारण तटबंध समेत कई बांध टूट गए थे. बाढ़ की वजह से सरकार का करोड़ों रुपये नुकसान भी हुआ था.
तीन अतिरिक्त पुल का निर्माण कराया जाएगा
डीएम का कहना कि मॉनसून बाद सत्तरघाट सेतु के एप्रोच पथ पर तीन अतिरिक्त पुल का निर्माण कराया जाएगा, ताकि गंडक का पानी तेजी से सोनपुर में गंगा तक पहुंच सके. बता दें कि पिछले साल सत्तरघाट पुलिया बहने पर बिहार सरकार घिरी थी. गोपालगंज के फैजुल्लाहपुर घाट से पूर्वी चंपारण के केसरिया के बीच गंडक नदी पर बने सत्तरघाट पुल के निर्माण में सरकार ने 263.48 करोड़ राशि खर्च की थी.
हालांकि, सीएम नीतीश कुमार के उद्घाटन के एक महीने के अंदर 14 जुलाई, 2020 को नदी के पानी का दबाव पड़ने के कारण एप्रोच रोड टूट गया था. पुल का एप्रोच सड़क नदी की तेज धार में बह गया था, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार को घेरा था. पूरे देश में बिहार के पुल निगम का मजाक उड़ा था.
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