Holi Of Vermilion On Vijayadashami: बिहार के गया में दुर्गाबाड़ी परिसर और नवादा के रेलवे कॉलोनी दुर्गा पूजा समिति में महिलाओं ने शनिवार (12 अक्टूबर) को जमकर होली खेली, लेकिन ये होली फगुआ में खेली जाने वाली रंगों की होली जैसी नहीं है. बल्कि ये विजयादशमी के दिन खेली जाने वाली परंपरागत सिंदूर की होली है, जो महिलाओं के सुहाग का प्रतीक है. नवादा और गया में रहने वाली बंगाली समुदाय की महिलाओं का मानना है कि वो नवरात्र के दसवें दिन मां दुर्गा को सिंदूर लगा कर सुहागिन विदाई करती हैं.
ढोल नगाड़ों के साथ खेली गई सिंदूर की होली
गया में हर साल की तरह इस साल भी विजयादशमी के दिन बंगाली समाज की महिलाएं पूरे पारंपरिक वेश भूषा में एक-दूसरे को सिंदूर लगाते दिखीं. आज बंगाली समाज की सुहागिन महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली. इसके पहले महिलाओं ने मां दुर्गा को श्रंगार का सामान अर्पित किया और हाथ में पान का पत्ता, मिठाई, सिंदूर आदि लेकर मां दुर्गा की परिक्रमा की गई. ढोल नगाड़ों के साथ महिलाओं ने सिंदूर की होली खेली. महिलाओं ने एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाया.
ऐसी मान्यता है कि सिंदूर खेला से पति की दीर्घायु होती है. बंगाली समाज के लोगों का ऐसा मानना है कि मां दुर्गा साल में 5 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं. मां के आगमन की खुशी में दुर्गा पूजा मनाया जाता है. इन 5 दिनों के प्रवास के बाद मां दुर्गा कैलाश पर्वत चली जाती हैं. बंगाली समाज में मां दुर्गा को बेटी की मान्यता दी गई है. बेटी को सुहागन विदा करने के लिए महिलाओं के जरिए पहले पान से मुंह मीठा कराया जाता है. फिर पान के पत्ते से चूमाकर आरती उतारी जाती है. उसके बाद महिलाएं नम आंखों ने मां दुर्गा की विदाई करती हैं.
बंगाली समाज की एक महिला हैप्पी चक्रवर्ती ने बताया कि नवरात्र की दशमी के दिन मां दुर्गा को विदाई दी जाती है और इसी दिन सिंदूर की होली का बंगाली समाज में काफी महत्व होता है. एक तरफ जहां मां दुर्गा की विदाई का गम होता है वहीं अगले वर्ष मां दुर्गा जल्दी आएं इसकी खुशी भी होती है.
नवादा में भी बड़े पैमाने पर आज के दिन महिलाएं सिंदूर की होली खेलती हैं. यह परंपरा नवादा के एक मात्र स्थान रेलवे कॉलोनी दुर्गा पूजा समिति के जरिए निभाई जाती है, जहां बंगाली रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना का आयोजन होता है. पहले महिलाएं मां दुर्गा की आरती करती हैं उसके बाद सिंदूर की होली खेलती हैं. रेलवे कॉलोनी में 72 साल से इस परंपरा का बंगाली समाज की महिलाएं निर्वहन कर रही हैं. बंगाली समाज की महिलाओं ने मां को समर्पित होने वाले सिंदूर को अपनी मांग में भरा और एक दूसरे के गालों में लगाया. विसर्जन से पहले पंडालों में सिंदूर खेला के दौरान पूरा माहौल सिंदूरमयी हो गया.
मां दुर्गा को सुहागिन विदा करती हैं बंगाली महिलाएं
बंगाली समाज की अध्यक्ष चंद्रिका यादव ने बताया कि मान्यता है कि मां दुर्गा की मांग भर कर उन्हें मायके से ससुराल विदा किया जाता है. उन्होंने कहा कि शहर में केवल रेलवे कॉलोनी में ही बंगाली रीति रिवाज के साथ पूजा अर्चना की जाती है. दूर-दूर से लोग इस पूजा को देखने पहुंचते हैं. पूरे विधि विधान के साथ बंगाली ब्राह्मण के जरिए ये पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान रेलवे कॉलोनी में जितनी भी महिलाएं रहती हैं. सभी यहां पहुंचती हैं और मां का आशीर्वाद लेती हैं. आज के दिन को काफी खास माना जाता है.