गोपालगंज: हथुआ थाने के मालखाना में आठ महीने से एक भगवान की मूर्ति को रखा गया है. अब मूर्ति के मुक्त होने का रास्ता साफ हो गया है. बरीराय भान के मंदिर की ओर से अपील की गई थी. इसे सीजेएम मानवेंद्र मिश्र की कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने, अभिलेख का अवलोकन करने के बाद हथुआ थाना प्रभारी से कहा कि बरामद मूर्ति कृष्ण का है या राम का, दो दिनों के अंदर कोर्ट में पेश करें जिससे यह पहचान हो सके कि वह राधा-कृष्ण की मूर्ति है या राम-जानकी की.


कोर्ट ने यह भी कहा है कि बरामद मूर्ति की तस्वीर सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित कराए जाएं कि अगर अन्य कोई भी व्यक्ति उस पांच अष्टधातु की मूर्ति के स्वामित्व के संबंध में अपना दावा प्रस्तुत करना चाहता है तो सभी वैध कागजात के साथ एक मार्च 2024 को अपना पक्ष कोर्ट में रख सकता है. कोर्ट इस मामले में एक मार्च को सुनवाई के साथ ही मूर्ति को मुक्त करने का आदेश देगा.


क्या है मामला?


13 फरवरी 2018 को बरीराय भान ग्राम में 1925 में स्थापित श्री राधा-कृष्ण गोपीनाथ मंदिर से अज्ञात चोरों द्वारा अष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली गई थी. हथुआ थाने में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. 23 नवंबर 2018 को तत्कालीन अनुसंधानकर्ता प्रशांत कुमार राय की ओर से सत्य सूत्रहीन बताते हुए अंतिम प्रपत्र संख्या 211/2018 समर्पित कर दी गई. 28 फरवरी 2019 को न्यायालय द्वारा अंतिम प्रपत्र स्वीकृत कर लिया गया.


पांच साल बाद तालाब से बरामद हो गई थी मूर्ति


बरीराय भान से तालाब से मिट्टी खोदने के क्रम में 13 जून 2023 को एक अष्टधातु की राधा-कृष्ण की मूर्ति बरामद हुई. इसे थाने के मालखाना में सुरक्षित रखा गया है. कांड के सूचक ने मूर्ति की पहचान करते हुए उसे अपने मंदिर से चोरी होने का दावा किया. इसके बाद पूजा-पाठ भोग के लिए सौंपने की अपील की गई थी. कोर्ट ने अभियोजन पदाधिकारी हीरालाल गुप्ता को सुना. इस संबंध में थाने से पूर्व में रिपोर्ट की मांग की गई थी. हथुआ थाना प्रभारी ने रिपोर्ट में राम-जानकी मंदिर की मूर्ति का उल्लेख किया है. 


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