पटना: बिहार में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने शनिवार को उसे महामारी घोषित कर दिया. इस संबंध में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर ब्लैक फंगस को ऐपिडमिक डिजिज एक्ट के तहत अधिसूचित किया गया है. मंगल पांडेय ने कहा कि इसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई निर्देश जारी किए गए हैं.
उन्होंने बताया कि इस एक्ट के तहत सभी निजी और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की ओर से म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) के सभी संदिग्ध और प्रमाणित मरीजों के मामले को जिला के सिविल सर्जन के माध्यम ये एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाएगा.
दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा
मंगल पांडेय ने कहा कि सभी निजी और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की ओर से म्यूकोरमायकोसिस से संबंधित जांच, इलाज और प्रबंधन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख इस रोग के संबंध में समय-समय पर जांच, इलाज और प्रबंधन को लेकर जरूरत अनुसार आदेश निर्गत कर सकेंगे.
नियम नहीं मानने पर होगी कार्रवाई
मंगल पांडेय ने कहा, " अगर कोई भी संस्थान इस प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो ऐपिडमिक डिजिज एक्ट की धारा-3 के तहत उसे दंडित किया जाएगा. साथ ही धारा-4 के प्रावधानों के अनुरूप कोई वाद या विधिक कार्रवाई संस्थित नहीं की जा सकेगी.अधिसूचना निर्गत होने की तारीख से एक वर्ष तक प्रभावी रहेगा. इस बीमारी के इलाज के लिए आवश्यक दवा एंफोटेरिसिन के 6 हजार वायल पूर्व में ही अलग-अलग चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पतालों और विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों के लिए राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जा चुका है, जो मरीजों को मुफ्त में मिलेगा.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस को लेकर राज्य सरकार गंभीर है और इस ओर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है. ऐसे मरीजों के बेहतर इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी लगातार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य उपकरणों की अधिप्राप्ति की जा रही है.
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