सेनारी नरसंहार में हाईकोर्ट के फैसले से बिहार सरकार असंतुष्ट, सुप्रीम कोर्ट का खटखटाएगी दरवाजा
बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार ने राज्य सरकार के फैसले की सराहना की है. उन्होंने कहा कि मृतकों को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है, आखिर सेनारी के मृतकों का कोई तो कातिल होगा. उन्हें न्याय दिलाना राज्य सरकार का कर्तव्य है.
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पटना: सेनारी नरसंहार में पटना हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट बिहार सरकार अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. दरसअल, पटना हाईकोर्ट ने सेनारी नरसंहार पर शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है. निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने इस नरसंहार के 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने के लिए कहा है.
मालूम हो कि इस मामले में 15 नवंबर, 2016 को जहानाबाद जिला अदालत ने 10 लोगों को फांसी और तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन हाई कोर्ट के जज अश्विनी कुमार सिंह और अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शुक्रवार को निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए सबको बरी करने का फैसला सुनाया है. लेकिन राज्य सरकार 34 लोगों के हत्यारों को रिहा किए जाने से खुश नहीं है. ऐसे में वो अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी.
सरकार के फैसले की तरीफ की
इधर, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार ने राज्य सरकार के फैसले की सराहना की है. उन्होंने कहा कि मृतकों को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार का यह कदम प्रशंसनीय है, आखिर सेनारी के मृतकों का कोई तो कातिल होगा. उन्हें न्याय दिलाना राज्य सरकार का कर्तव्य है.
क्या था सेनारी नरसंहार?
गौरतलब हो कि 18 मार्च 1999 की रात बिहार के जहानाबाद के सेनारी गांव में 34 लोगों को बांधकर उनका गला रेत दिया गया था. इस कांड में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर को शामिल माना गया था. एमसीसी के सैकड़ों लोगों ने 18 मार्च 1999 की रात सेनारी गांव की घेराबंदी कर एक जाति विशेष के पुरुषों को घर से निकाला था. घर से निकालने के बाद उन्हें गांव में एक मंदिर के पास ले जाकर हाथ-पैर बांधकर और गला रेतकर हत्या कर दी थी.
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