पटनाः बिहार में इन दिनों विश्वविद्यालयों में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार जैसा मामला सामने आने के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाया है. सोमवार को बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शीघ्र परफॉर्मेंस ऑडिट कराने के लिए महालेखाकार को पत्र लिख कर अनुरोध किया है. शिक्षा विभाग ने पत्र में सभी विश्वविद्यालयों के लिए बिहार वित्तीय नियमावली का पालन करना जरूरी बताया है.
परफॉर्मेंस ऑडिट के लिए अनुरोध
बताया गया है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम,1976 और पटना विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 54 तथा आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2008 की धारा 34 में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के आय-व्यय के ऑडिट का प्रविधान है. इसके साथ ही सभी विश्वविद्यालयों का परफॉर्मेंस ऑडिट शीघ्र कराने का अनुरोध किया गया है.
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हर वर्ष हो रहे खर्च की होगी ऑडिटिंग
तमाम आरोप के बाद बिहार के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ऑडिटिंग शुरू होगी. सुरक्षा और सफाई के लिए आउटसोर्सिंग पर किए जा रहे खर्च का भी अंकेक्षण होगा. इसके अलावा कुलपतियों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं एवं प्रश्न पत्रों की छपाई और खरीद, पुस्तकालयों में किताबों और प्रयोगशालाओं में उपकरणों एवं कंप्यूटर आदि खरीदारी आदि पर वर्षों से हो रहे खर्च की भी ऑडिटिंग होगी.
जारी चिट्ठी में क्या है?
शिक्षा विभाग द्वारा जारी चिट्ठी में बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को वेतन भुगतान, सेवानिवृत्त शिक्षकों व कर्मियों के सेवांत लाभ का भुगतान, अतिथि शिक्षकों के मानदेय भुगतान, आउटसोर्सिंग से नियुक्त किए गए कर्मचारियों के मानदेय भुगतान के लिए हर साल राशि दी जाती है. इसके साथ ही विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में विकास के लिए योजना मद से राशि दी जाती है. उसके पास आंतरिक स्रोत से भी आय होती है. विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षा संचालन के लिए कॉपियों और प्रश्न पत्रों की छपाई व खरीद, पुस्तकालयों में किताबों की क्रय, प्रयोगशालाओं में उपकरणों और कंप्यूटर आदि की खरीदारी की जाती है. पिछले कई वर्षों से विश्वविद्यालयों में आय और उपरोक्त मद में खर्च का अंकेक्षण नहीं हुआ है.
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